राजा का अहंकार
Hindi story on Ego
एक बार की बात है, एक राजा था। वह बड़ा अहंकारी था। उसे किसी ने बताया- बाबा फरीद से मिलकर उसमे बदलाव आ सकता है। राजा ने बाबा से मिलने का फैसला किया। वह बाबा के लिए उपहार के रूप में बेहद नायाब तलवार लेकर गया। जब वह वहां पहुंचा तो बाबा के शिष्यों ने आकर बाबा से कहा –
“कोई राजा आपसे मिलने बहुत दूर से आये हैं।”
राजा को बुलाया गया। राजा ने बड़े सलीके से बाबा से कहा –
“यह भेंट मैं खासतौर पर आपके लिए लाया हूँ।”
तलवार देखकर बाबा फरीद बोले-
“राजन मैं तुम्हारा बहुत शुक्रगुजार हूँ कि तुम मेरे इतनी कीमती भेंट लेकर आये हो, पर मेरे लिए तो यह किसी काम की नहीं है , अगर तुम मुझे कुछ देना ही चाहते हो, तो एक सुई ही उपहार में दे दो। वह मेरे लिए दर्जनों तलवार से भी अधिक कीमती होगी।”
यह सुनकर राजा हैरान हो गया और बोला-
एक सुई भला दर्जनों तलवार का मुकाबला कैसे कर सकती है ?
बाबा बोले-
‘तलवार तो सिर्फ लोगों को सिर्फ मारने काटने का काम ही कर सकती है, इसके अलावा अगर हम चाहें तो भी तलवार से कोई और काम ले सकते है क्या ?’
इसके विपरीत एक सुई फाटे कपड़ों को जोड़ देती है। अब आप आप ही बतायें कि जोड़ने वाला श्रेष्ठ होता है या तोड़ने वाला।
तोडना आसान है मगर जोड़ना कठिन होता है।
तलवार रूपी अहंकार ज्यादा श्रेष्ठ है, या फिर सुई रूपी विनम्रता।
राजा फ़ौरन बाबा की बात समझ गया कि बाबा किस ओर इशारा कर रहे हैं। राजा को एहसास हुआ कि आज उसके जीवन की दिशा बदल गयी है।
राजा बाबा को प्रणाम करके बोले –
“आपने तो मेरे जीवन की दिशा ही बदल दी है, आज से मैं भी जोड़ने के बारे में सोचूँगा।मैं आज से शपथ लेता हूँ कि अपने अहंकार को त्यागकर पूरे समर्पण भाव से जनता की सेवा करूँगा। राजा ने बाबा के सामने ही तलवार फेंक दी।”
सच ही कहा जाता है कि सच्चे संत की वाणी में बहुत असर होता है। वो मनुष्य का ह्रदय परिवर्तन कर सकते हैं।
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शानदार पोस्ट …. sundar prastuti … Thanks for sharing this!! ? ?
Thanks
Very good
Thanks…