रबिन्द्रनाथ टैगोर की जीवनी
Biography of Rabindranath Tagore in Hindi
रबीन्द्रनाथ टैगोर हमारे देश के एक ऐसे प्रतिभाशाली व्यक्ति थे, जिनका हमारे देश में जन्म लेना हमारे देश के लिए गौरव की बात है। वे असीम प्रतिभा के धनी थे। बचपन से ही कला के क्षेत्र में उनका ऐसा रुझान था कि जैसे ईश्वर ने उन्हें कला का भंडार देकर जन्म दिया हो।
वे विश्व के पहले ऐसे कवि थे। जिनकी लिखी गयी दो रचनायें दो देशों का राष्ट्रगान बनीं। पहली ‘जन गण मन’ और दूसरी ‘आमार सोनार बांगला’। रबिन्द्रनाथ टैगोर जो कि एक महान कवि, कहानीकर, गीतकार, संगीतकार, नाटककार, निबंधकार, चित्रकार थे। उनकी जीवनी मैं आपके साथ शेयर कर रही हूँ।
रबीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को कलकत्ता में हुआ। उनके पिता का नाम देवेन्द्रनाथ टैगोर था और उनकी माँ का नाम शारदा देवी था। उनका विवाह सन 1883 में हुआ। उनकी पत्नी का नाम मृणालिनी देवी था। उन्हें लोग गुरुदेव के नाम से भी पुकारते थे।
उनकी प्रारंभिक पढ़ाई सेंट ज़ेवियर स्कूल में हुई। उनके पिता चाहते थे कि वो एक वेरिस्टर बनें इसलिए उन्हें कानून की पढ़ाई के लिए लंदन भेजा गया। लेकिन एक इन्सान जिसका मन साहित्य में रमा हो वह कैसे कानून की पढ़ाई को पूरा कर पाता, सो वह बिना डिग्री लिए ही भारत वापस आ गये।
वास्तव में बचपन से ही उन्हें साहित्य में और लेखन में बड़ी रूचि थी। आठ साल की उम्र से ही उन्होंने कहानियाँ और कवितायें लिखना शुरू कर दिया था। उन्होंने अपने जीवनकाल में 2000 से अधिक गीत लिखे।
उनकी सबसे लोकप्रिय रचना गीतांजलि है जिसके लिए 1913 में उन्हें नोबेल पुरुष्कार भी दिया गया। गीतांजलि इतनी लोकप्रिय हुई की उसका अंग्रेज़ी, फ्रेंच, जर्मन, जापानी, रुसी में किया गया और वे सारे विश्व में प्रसिद्ध हो गए। क़ाबुलीवाला, मास्टर साहब और पोस्टमास्टर ये उनकी कुछ प्रमुख प्रसिद्ध कहानियाँ है।
उन्होंने पश्चिमी देशों से भारतीय संस्कृति का परिचय करवाया और पश्चिमी संस्कृति भारत का परिचय करवाया। वास्तव में उन्होंने आधुनिक भारत के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
वे गाँधी के बहुत अच्छे दोस्त थे। वे उन्हें को महात्मा कहकर पुकारते थे और गाँधी जी उन्हें गुरुदेव कहकर पुकारते थे। उन्होंने एक दूसरे को जो उपाधि दी, वह विश्वविख्यात हुई।
वे एक पक्के देशभक्त थे। उन्होंने जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड का जमकर विरोध किया। अपने विरोध को दर्शाने के लिए उन्होंने ब्रिटिश प्रशासन द्वारा मिली नाईट हुड की उपाधि से इन्कार कर दिया। उनके साहित्य में देशप्रेम को झलक स्पष्ट दिखाई देती है।
उन्हें प्रकृति से विशेष प्रेम था। उन्होंने 1901 प्रकृति के सानिध्य में पश्चिम बंगाल के ग्रामीण क्षेत्र में उन्होंने विद्यार्थियों के लिए शांति निकेतन की स्थापना की। वे विद्यालय में स्थायी रूप से रहने लगे 1921 में ये विद्यालय विश्व भारती विश्वविद्यालय बन गया।
हिन्दी साहित्य में रबीन्द्रनाथ टैगोर का नाम अमर हो गया। उनके द्वारा लिखे गए राष्ट्रगीत ‘जन गण मन’ का एक- एक शब्द आज भी लोगों के रोम-रोम में सहज ही राष्ट्रप्रेम की भावना को जाग्रत कर देता है।
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