कभी कभी अपनी परछाई से भी डर लगता है
Emotional Hindi Poetry shadow
कभी कभी अपनी परछाई से भी डर लगता है
मौत से भी ज्यादा जिन्दगी से डर लगता है
सफर में आगे बढ़ तो रहे हैं हम
तन्हाई से भी ज्यादा भीड़ से डर लगता है
हर कदम पे अपने ही करते हैं छलावा
दुश्मनों से भी ज्यादा दोस्त से डर लगता है
तमाम उम्र गुजार दी नेकियों में हमने
नफरत से भी ज्यादा प्यार से डर लगता है
धोखा हर एक इंसान से खाया है इसकदर
वेवफा से भी ज्यादा वफादार से डर लगता है
ये मतलब परस्त लोग और उनकी कहानियाँ
फरेबी से भी ज्यादा जिम्मेदार से डर लगता है
कर दिया है सीना छलनी इन वारदातों ने
अब हैवान से भी ज्यादा इंसान से डर लगता है
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Hi
baakamaal asliyaat ha ye jindagi ki
Great mam
Thank you…
wahh ji waah.. true feelings.
plz share
Thank you…
बहुत ही खूब और कमाल का लिखा है , लाजवाब
धन्यवाद