सवाल तुम्हारे पास भी हैं और मेरे पास भी । Hindi Poetry on Attachment
सवाल तुम्हारे पास भी हैं और मेरे पास भी
जिनके जबाब हम ढूँढते रहते हैं
क्यूँ तुम हर वक़्त मुझे ही देखना चाहते हो
और क्यूँ मैं तुम्हें अनदेखा नहीं कर पाती
क्यूँ एक डोर जो बंधी है टूटटी ही नहीं
इसे चाहे कितना भी खींचो तानों तोड़ो मरोड़ो
ये जस की तस पहले जैसे ही हो जाती है
क्यूँ फिर अक्सर ख़ामोशियाँ भी तुम्हारी ही बातें करती हैं
या फिर सब कुछ अधूरा सा चुप और शांत रहता है
क्यूँ दिल का ग़ुबार निकलता ही नहीं
बस एक भीनी भीनी सी ख़ुशबू ,
अकेलेपन में भी ख़ूबसूरत सा एहसास
न जाने कितने नाकामयाब से जज़बात
सच कहूँ तो सुकून देने लगी है अब
ये अधूरे से, अनकहे से, अनसुने से पल
या सच कहूँ तो यही पूरा कर रहे हैं
या सारी खली जगह को भर रहे हैं
आरज़ू जुस्तज़ू और और ख़्वाब
बस इनकी ख़ूबसूरती में ख़ूबसूरत से दिन गुज़र रहे हैं
कितना प्यारा सा है ये एहसास ज़्यादा कुछ नहीं
हम हर पल जी रहे हैं, हर पल मर रहे हैं
MUST READ
न जाने क्या है इस खामोशी का सबब
कुछ नहीं कहना है कुछ नहीं सुनना है
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Behad Sunder…Kyonki maine bhee dil se nikalane wali baaten….likhne ki koshish karta hun..isliye…ise jyada gahrai se samajh sakta hun…..