रंग लाई ईमानदारी
Short inspirational Hindi story on Honesty
एक समय की बात है। सिंगापुर में एक डॉक्टर रहते थे, जिनका नाम सिसिल ब्राउन था। वो अकेले ही रहते थे। उन्होंने बहुत सारे जानवर पाल रखे थे, जिन्हें वह अपने बच्चों की तरह प्यार करता थे। उनके घर एक लड़का आता था, जिसका नाम मिग था। वह उनके कपड़े धोता था और प्रेस करता था। वह अकेला ही रहता था।
उसी वक़्त अचानक अंग्रेजों व जापानियों में युद्ध छिड़ गया और मिग घायल हो गया। मिग डॉक्टर ब्राउन के पास गया। ब्राउन ने उसे बिठाया, उसकी मरहम पट्टी की और उसको दवा दी। ब्राउन ने मिग को कहा तुम मेरे कुछ कपडे ले जाओ, उन्हें धोकर और प्रेस करके ले आना। युद्ध में जापानियों की जीत हुई। दो दिन बाद जापानियों ने सिंगापूर पर कब्ज़ा कर लिया।
अन्य कैदियों के साथ मिग को भी जेल में डाला गया। इधर जापानियों ने ब्राउन को भी जेल में डाल दिया।
तीन साल बाद अंग्रेजों ने फिर सिंगापूर पर कब्ज़ा कर लिया। जापानियों द्वारा जितने भी लोग कैद किये गये थे, उन्हें छोड़ दिया गया। वहाँ ब्राउन भी छूटकर घर आ गया और मिग भी जेल से छूट गया। मिग जैसे ही घर आया, उसने सबसे पहले ब्राउन के कपड़े धोये और उन पर प्रेस की, फिर कपड़े लेकर ब्राउन के घर गया।
सबसे पहले उसने ब्राउन को नमस्कार किया और कपड़ो का बंडल थमा दिया।
ब्राउन ने उससे पूछा- इसमें क्या है ?
मिग ने कहा- सर इस बार मुझे देर हो गयी। जापानियों ने मुझे जेल में डाल दिया था। तीन साल पहले आपने मुझे धोने के लिए कपड़े दिये थे। ये लीजिये आपके आपके कपड़े।। मैं परसों ही जेल से छूटा हूँ।
उसकी ईमानदारी देखकर ब्राउन की आँखें नम हो गयीं। उन्होंने कहा मैं भी कल ही जेल से छूटकर आया हूँ। तुम्हारी ईमानदारी से मैं बहुत प्रभावित हुआ।
बेटा अब तुम अनाथ नहीं हो। मैं तुम्हें अपने साथ रखूँगा। अब तुम्हें कपड़े धोने की जरूरत नहीं है। कल से तुम स्कूल जाओगे। मैं एक अच्छे से स्कूल में तुम्हारा दाखिला करवा देता हूँ और अब तुम मेरे साथ ही रहोगे।
आज हमारे देश को डॉक्टर ब्राउन जैसे लोगों की जरुरत है, जिनका दिल इतना बड़ा हो कि वह अनाथ और गरीब बच्चों को सहारा दे सकें।
[…] ईमानदारी का फल […]