नारी की स्वतंत्रता पर कविता Republic day Poem on woman empowerment
भारत की आज़ादी पर कविता
क्या वाक़ई में भारत आज़ाद हो गया है
या फिर ये आज़ादी महज़ एक दिखावा है
आज भी नारी के लिए ये शब्द एक छलावा है
आज भी नारी आज़ाद होने का करती दिखावा है
उसने खुद ही तय कर रक्खा है अपनी सीमाओ को
खुद ही बांधती है हर रोज़ अपने पाँवों को
जब खुद छूटने की हिम्मत जुटा पाएगी वो
तभी इस आज़ादी को मना पायेगी वो
उसे अपने सपनों को उड़ान देना भी नहीं आता
किसी को न कहने की हिम्मत जुटा पाना भी नहीं आता
सच कहूँ तो उन्हें शायद सपने देखना भी नहीं आता
और हम कहते है कि देश आजाद हो गया है
अभी भी वक्त है
देश को पूरी तरह आज़ाद होने में
पुराने विचारों की कैद से फरार होने में
जिस दिन इस देश की नारी आज़ाद होगी
उस दिन सारे विश्व में भारत की मिशाल होगी
जिस दिन हर नारी अपने पैरों पे खड़ी होगी
उस दिन भारत की गरीबी भी दो तीन होगी
जब अहम से भरे हुए पुरुषों को ये समझ आएगा
कदम से कदम मिलाकर ही देश चल पाएगा
बहुत आसान है ये सब होना
और नारी के हाथ में ही है
चलो आज हर माँ एक कसम ले….
नारी की आज़ादी का बोझ अपने ही सर ले
हर माँ अपने बेटे को सीखा दे
नारी की खूबसूरत पहचान बता दे
खुश नसीब है वो चंद नारियाँ जो पहुंची अपनी मंजिल तक
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Hi mam
Bahut gehri sacchai has magar hum purush is sacchai ko pata nahi kab accept karenge great thought
Thank you…