ये ख़ामोशी ये रात ये बेदिली का आलम
Romantic Heart touching shayari
ये ख़ामोशी ये रात ये बेदिली का आलम
पूछती है हमसे तुम कब मिलोगी जानम
मैं जबाब दूँ भी तो क्या
और कहूँ भी तो क्या
मुझे खुद को ही नहीं पता
कि मुझे प्यार है तुझसे
या है मेरा ही कोई भरम
ये ख़ामोशी ये रात ये बेदिली का आलम
पूछती है हमसे तुम कब मिलोगी जानम
तू अगर मिल के जुदा
होती तो और बात थी
पर ये क्या कि मिले भी नहीं
और एक लम्बी जुदाई
ये तन्हाई ये जुदाई
ये एहसास ए ग़म
ये ग़म अब कैसे सहें हम
हर लम्हा याद दिलाता है
तेरा रहम-करम
मेरी ख़ामोशी में छिपी है
तेरी दास्ताँ जानम
ये ख़ामोशी ये रात ये बेदिली का आलम
पूछती है हमसे तुम कब मिलोगी जानम
बेपनाह है मुझे मुहब्बत तुमसे
तुम्हे चाहने के लिए माँग
नहीं सकता इज़ाज़त तुमसे
तेरी यादों से है मेरे दम में दम
ये ख़ामोशी ये रात ये बेदिली का आलम
पूछती है हमसे तुम कब मिलोगी जानम
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Thank you Priyanka…