Myself Poem in Hindi ।। खुद पर कविता ।। खुद को खोकर ही खुद को पाया है हमने
खुद को खोकर ही खुद को पाया है हमने
बड़ी मुश्किल से ये मिज़ाज़ पाया है हमने
कर दिया है इस दुनिया को दर किनार
तब कहीं खुद को समझ पाया है हमने
किसी को खुश करने की अब जरुरत न रही
जब ये जाना कि हर रिश्ता निभाया है हमने
क्या सोचते थे हम और सच क्या था
सच और झूठ के फासले को हटाया है हमने
वक्त के साथ बदल जाना ही हकीकत है
और फिर वक्त को भी तो भुलाया है हमने
सारी दुनिया के झमेलों को छोड़कर
बस खुद को ही अपनाया है हमने
सबको लेकर चल पाना तो मुमकिन न रहा
कुछ अपनों से भी दामन छुड़ाया है हमने
खुद को खोकर ही खुद को पाया है हमने…
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Hi mam great inhi words ka ontezar Tha Kya baat Haan great
Hi mam great inhi words ka ontezar Tha Kya baat Haan great
Hi mam great
Maam AAP standup poetry aur stand up comedy bhi dekhna you tube main bahut log aaj apni kahaniyaan keh rahey hasn thoughts and poem
Yes Dheeraj ji abhi Poem se start kiya hai. Aaage bhi Try karungi. And Thank you so much again for appreciate me.
Waah kya khoob hai aisa lagta hai ye bahut hi gehre words hai jo itni aasani se nahi nikalte bahut mahenat lagti hai bahut achha paryaas hai lage raho hame aur bhi intejaar hai aisi kavita ka
Thank u…
I also write i had written few lines that iam sharing with you
The title is ‘kisi roz ham bhi tumse milne aate the’
तेरी मुस्कुराहट को हम भी सपनों में सजाते थे
बार बार फिर वह बातें याद कर हम भी मुस्कुराते थे
तेरे नाम को अपने हाथों पर लेखन भी शर्माते थे
तुझसे बात करके हम भी अपने दोस्तों के सामने इतराते थे
कहां तो तूम ने हि था कि तुम्हारी याद आती है
मगर हम भी तुम से मिलने के लिए घरवालों से डांट खाते थे
आखिर तुमसे मिलने हम भी किसी रोज आते थे।
Thanks it was my few lines