गुजरता जा रहा है वक़्त पर वक्त गुज़रता नहीं
Hindi poetry on time
गुजरता जा रहा है वक़्त पर वक़्त गुजरता नहीं
गुजरते जा रहें हैं दिन रात पर एक लम्हा ठहरता नहीं
गुजरते हुए से वक़्त में थाम लिए कुछ लम्हे मैंने
छोड़ दूं उन लम्हों को या थाम के रखूं बस
इसी कश-म-कश में एक लम्हा गुजरता नहीं
गुजरता जा रहा है वक़्त पर वक़्त गुजरता नहीं
जिन्दगी की सफ़र में गुजर रही है जिन्दगी
जिन्दगी की तलाश में ये सफर कटता नहीं
चलते-चलते सफ़र में आ भी गया किनारा
तो किनारे पे आके भी पानी ठहरता नहीं
गुजरता जा रहा है वक़्त पर वक़्त गुजरता नहीं
गुजरते जा रहें हैं दिन रात पर एक लम्हा ठहरता नहीं
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kamaal likha haan apko itni inspiration kahaan se ati haan great mam god bless
Thank you dheeraj ji
gujarta ja rah h wakt pr hum roak bhi nahi sakte,
jante h sb kuch magar kah nahi sakte.
kas roak jaye ye lamha, pr hum ye bhi kr nahi sakte
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