दूसरों की पीड़ा को समझे । Motivational Hindi Story of Sensitive People

दूसरों की पीड़ा को समझे । Motivational Hindi Story of Sensitive People

दूसरों की पीड़ा को समझे । Motivational Hindi Story of Sensitive People

दूसरों की पीड़ा को समझे । Motivational Hindi Story of Sensitive People

गुरुकुल में अध्ययन करने वाले बालकों का सत्र पूरा हो रहा था। सभी छात्र अपने अपने घर जाने की

तैयारी में थे।  सभी उत्साहपूर्वक अपने अपने घर जाने की तैयारी कर रहे थे। सभी छात्र बहुत खुश थे।

तभी गुरूजी ने अपना एक छात्र को भेजा और सभी छात्र को मैदान में एकत्र होने को कहा।

 

सभी छात्र गुरूजी की आज्ञा अनुसार मैदान में आकर खड़े हो गए। तब वहां मैदान में गुरूजी

आये और आकर बोले। प्रिय शिष्यों मैं चाहता हूँ किआप सभी यहाँ से जाने से पहले एक बाधा दौड़

की प्रतियोगिता में हिस्सा लें ।

 

उस प्रतियोगिता के बारे में बताते हुये गुरूजी ने कहा-

 

इस दौड़ में आपको एक अँधेरी सुरंग का सामना करते हुये उसमें मिलने वाली बाधाओं को पार करते

हुये वहां से सुरक्षित गुजरना पड़ेगा।

 

सभी ने एक स्वर में अपने गुरुजी से कहा हाँ हम तैयार है । अब दौड़ शुरू हुयी, सभी शिष्य दौड़ते

हुये सुरंग से गुजरने लगे उस सुरंग में जगह-जगह नुकीले पत्थर बिछे हुये थे। उनकी चुभन छात्र

तेजी से नहीँ दौड़ पा रहे थे।

 

उससे उनके पैरों में बहुत दर्द हो रहा था और कई बालकों को तो खून भी निकल आया। दौड़ पूरी

होने पर कुछ शिष्यों ने गुरूजी से प्रश्न किया कि गुरूजी – कुछ शिष्यों ने तो दौड़ बहुत जल्दी पूरी

कर ली।

 

कुछ शिष्यों ने दौड़ को पूरा करने में बहुत ज्यादा समय लिया, भला ऐसा क्यों, एक शिष्य ने गुरूजी

से आज्ञा लेकर विनम्रतापूर्वक कहा। गुरूजी हम साथ साथ दौड़ रहे थे, पर सुरंग में पहुँचते ही वहां

हम सब की स्थिति बदल गयी।

 

कोई नुकीले पत्थरों के कारण संभलकर आगे बढ़ गया तो कुछ साथी ऐसे भी थे, जो चुभने वाले पत्थरों

को उठाकर जेब में भी रखते जा रहे थे ताकि पीछे आने वाले उनके दोसतों को पीड़ा न सहना पड़े।

गुरूजी बोले ठीक है।

 

जिन छात्रों ने पत्थर उठाये है। वे आगे आये और मुझे वे  पत्थर दिखाये, गुरूजी ने उनमें से एक पत्थर

उठाकर शिष्यों से कहा- जिन्हें आप सभी पत्थर समझ रहे हो, वो तो एक बहुमूल्य हीरा है। असल में इसे

मैंने ही सुरंग में डाला था।

 

ये हीरे  उन शिष्यों को मेरी और से उपहार है। जो दूसरों की पीड़ा के प्रति संवेदनशील है। यह दौड़ जीवन

की प्रतिस्पर्धा को दर्शाती है। जिनमें हर कोई आगे निकलने के लिये ही दौड़ रहा है, लेकिन अंतिम लक्ष्य उसी

का सिद्ध होता है जो इस दौड़ती दुनियां में दूसरे का भला करते हुए आगे बढ़ता है । विजेता तो वही है।

 

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