पानी रहित होली हिंदी कहानी | Hindi Story on save water on Holi
होली रंगों का त्यौहार है |
होली एक ऐसा त्यौहार है जिसमें सब एक दूसरे को अपने प्यार रंग में रंग देते है |
रंगों से होली खेलने में बहुत मज़ा आता है |
आज हम बात करते है कि पानी रहित होली कैसे खेली जाती है |
शिक्षक कक्षा में आते है सभी बच्चों को बड़ा प्रसन्न देखकर वह सभी से पूंछते है |
क्या बात है आज आप सभी किस बात पर इतने खुश है |
क्या आज किसी का जन्म दिवस है ? या और कोई बात है | मुझे भी बताओ |
तब सभी बच्चे अपने अध्यापक से कहते है कि नहीं सर आज किसी का जन्म दिवस नहीं है|
कल आपने कहा था कि आज कक्षा में एक प्रतियोगिता है |
जिसमे हम सब को होली को मनाने का सहो ढ़ंग बताना है |
जिसका प्रथम स्थान आयेगा स्थान आप उसको एक पुरूस्कार भी देंगे |
तब अध्यापक ने कहा हाँ- हाँ मुझे याद आ गया | तो आप सभी तैयार है, इस प्रतोयोगिता के लिये ?
सभी बच्चो ने एक साथ कहा – हाँ सर हम तैयार है |
तब मन्नत बोलती है सर सबसे पहले कौन बोलेगा ?
तब शिक्षक ने कहा – चलो तुमसे ही शुरुआत करते है |
मन्नत बोलना शुरू करती है – हमें होली का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाना चाहिये |
सबसे पहले बहुत सारी लकड़ियों को जलाकर हमें होलिका दहन करना चाहिये |
ये भी जरुर पढ़ें:- कैसे करें शुरुआत
धुलेंडी के दिन सूखे और गीले रंगों से होली खेली जाये| एकदूसरे पर गुब्बारे मरकर,
अंडे फोड़कर, पॉलिश और पेंट आदि लगाकर खूब हुडदंग किया जाये|
एक छोटे टेंक को रंग वाले पानी से भरकर, सभी पर खूब रंग डाला जाये |
इसतरह होली का त्यौहार मिलजुलकर मनाना चाहिये|
अध्यापक ने कहा शाबाश मन्नत आपने बड़े ही विश्वास के साथ बताया |
अब पंकुल बताएगा तब पंकुल कहता है – सर ! मैं मन्नत के विचारों से पूरी तरह सहमत नहीं हूँ |
यह बात बिल्कुल सही है, कि होलीका दहन परंपरागत तरीके से मनाना चाहिये |
परन्तु पेड़ों की लकड़ी काटकर को न काटते हुए |
आसपास पड़ी बेकार लकड़ी और टूटे- फूटे फर्नीचर का प्रयोग करना चाहिए |
अगले दिन सुखेऔर गीले रंगों से खूब होली की मस्ती की जानी चाहिए |
इस दिन अगर कोई गोबर, कालिख , पेंट आदि लगाये तो उससे गुस्से नहीं होना चाहिये |
अंडे और गुब्बारे आदि फेंककर होली को खेलने का मज़ा ही कुछ और है |
होली वाले दिन भांग का सेवन करने से होली का मजा दुगुना हो जाता है |
अध्यापक बोले – ठीक है तुम्हारे विचार मन्नत से कुछ अलग है |
तब धीरज ने कहा सर मेरे विचार तो इनदोनो से अलग है क्या मैं बोल सकता हूँ|
शिक्षक ने कहा- चलो अब तुम भी सुनाओ|
धीरज बोला यह तो सब जानते है कि होली रंगों का त्यौहार कहलाता है |
इसे हमें बड़ी धूमधाम से मनाना चाहिये, परन्तु आज के समय में हमें होली के परंपरागत स्वरूप से
छुटकारा पाना है | होलिका दहन में आसपास पड़े कचरे को जलाया जाये|
इससे आसपास की गंदगी से मुक्ति मिलेगी पेड़ काटने से बच जायेंगे |
प्रदुषण भी कम फैलेगा | रंगों का इस्तेमाल कम से कम किया जाना चाहिये |
पानी वाले रंगों से तो होली बिलकुल भी नहीं खेलनी चाहिये,
क्योंकि हमारे देश में पानी की कितनी कमी है |
एक दिन की होली में हम महीनों का प्रयोग कर देते है |
इस दिन पेंट, कालिख, गोबर, अण्डों और गुब्बारों का प्रयोग तो कभी भी नहीं करना चाहिये |
इनसे बहुत अधिक नुकसान हो सकता है |
होली का त्योहार परस्पर प्रेम और भाईचारेका त्योहार है |
इस दिन शत्रुता भुलाकर हमें दुश्मनों को भी गले लगा लेना चाहिये|
होली का पर्व हमें केवल एकदूसरे के माथे पर रंग का तिलक लगाकर
तथा गले मिलकर मनाना चाहिये |
पानी का प्रयोग कदापि न किया जाए यानी ‘पानी रहित होली ’ मानाई जाए |
ये भी जरुर पढ़ें:-
Friends अगर आपको ये Post
पानी रहित होली हिंदी कहानी | Hindi Story on save water on Holi
पसंद आई हो तो आप इसे Share कर सकते हैं.
कृपया Comment के माध्यम से हमें बताएं आपको ये Post कैसी लगी।
Speak Your Mind