बच्चों पर प्रेरणादायक कविता।। बाल दिवस पर कविता ।। Hindi Poetry For Childhood
सभी को बड़े होकर बचपन बहुत याद आता है
हँसना तो खुलकर हँसना रोना तो खुलकर रोना
अपनी ही धुन में मगन रहना
न कोई चिंता न कोई परेशानी
न कोई दुःख न कोई हैरानी
न आगे बढ़ने की चाहत
न पीछे रह जाने का गम
न किसी के रूठने की चिंता
न किसी के मनाने का इंतज़ार
दिवाली दशहरा जब थे त्यौहार
न कि सिर्फ नियमों के हार
जब दिल में जो आये वो करना
बाद में चाहे मार हो पड़ना
न समाज के नियमों का बन्धन
न दिल में कोई भी उलझन
उम्र बढ़ते ही पैसे को पाने की चाहत
पैसे को पाने के बाद उसका गुरुर
बचपन में इन बातों से थे बहुत दूर
जीना सीखते सीखते बड़े हो गये
और बड़े होकर समझ आया
कि जीते तो तब थे
जब पता भी नहीं था जीना क्या है
हर एक चीज़ की कीमत तब थी
जब पता भी नहीं था
कि उनकी कीमत क्या है….
सभी को बड़े होकर बचपन बहुत याद आता है…
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