नहीं है मेरे अंदर ताकत
नारी पर प्रेरणादायक हिंदी कविता संग्रह
नहीं है मेरे अंदर ताकत
पर फिर भी उठा रही हूं
सृष्टि को जीवन देने का वरदान
कभी कभी अभिशाप बन
डस लेता है मुझे
तुम्हारे द्वारा रचे संसार में
बस सिकुड़ती जा रही हूं मैं
होती है चारो तरफ चर्चायें
बडी बडी गोष्ठियां विचार विमर्श
उनके बोझ तले – दबी जा रही हुँ मैं-
जैसे बदल जा रहा है सब कुछ
जैसे प्रकृति में परिवर्तन है
एक शशक्त नियम- – –
जैसे मिट रही है पुरानी जातियॉं
और विकास चक्र में रच रहा है कुछ नया
क्यों नहीं हो जाता कोई
उत्परिवर्तन मेरे अन्दर
कोई असाधारण सा चमत्कार
और मुझ जैसी प्रजाति का भी
लग जाये बेड़ा पार —
न करनी पड़े किसी से मनुहार
सब कुछ बस सहजता से।
हो घटित इस पार- – – –
Name: Venus Singh
Profession: Teacher
We are grateful to Venus Singh for sharing this beautiful Poetry with us.
Hi
Great thought mama but still waiting for ur thoughts
These are words which sound beautiful
But still ur words touches my heart
So just waiting