अब्राहिम लिंकन का न्याय
Abraham lincoln motivational story in Hindi
बहुत पुरानी बात है. अब्राहिम लिंकन उन दिनों अमेरिका के राष्ट्रपति थे। उस समय अमेरिका में कानून था, यदि किसी व्यक्ति को उम्रकैद की सजा मिली है, तब भी वह सुधरने की कोशिश कर सकता है।
जेल में अपने अच्छे चरित्र और व्यवहार से यह सिद्ध कर सकता है कि वह सुधर गया है। और माफ़ी के लिए आपील कर सकता है।
एक व्यक्ति जिसे उम्रकैद की सज़ा मिली थी, दस साल शांति और प्रेम से गुजारने के बाद, अपनी सजा की माफ़ी के लिये एक प्रार्थना पत्र राष्ट्रपति लिंकन के पास भेजा।
उस कैदी ने प्रार्थना पत्र में अपनी योग्यता, प्रतिभा और कार्य का विवरण तो भेजा पर वह कोई संस्तुति नत्थी नहीं कर पाया।
उन दिनों प्रार्थना पत्र के साथ कैदी के किसी सम्बन्धी या किसी विशिष्ट व्यक्ति का संस्तुति पत्र नत्थी किया जाना आवश्यक था, अन्यथा कैदी की माफ़ी की अपील पर विचार नहीं किया जाता था।
पत्र पढ़कर राष्ट्रपति लिंकन बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने उसकी सज़ा माफ़ किये जाने पर गंभीरता से विचार किया।
उनके कानूनी सलाहकार ने कहा- इस व्यक्ति ने प्रार्थना पत्र के साथ कोई संस्तुति पत्र नत्थी नहीं किया। नियमानुसार इसकी सज़ा माफ़ किये जाने पर विचार नहीं किया जा सकता ।
यह सुनकर लिंकन ने उसकी सच्चाई के बारे में पता लगाया। तब उन्हें पता चला की वह वाकई में सुधर गया है और एक जिम्मेदार नागरिक बनने की कोशिश कर रहा है. जेल अधिकारी और साथी कैदियों ने भी उसकी तारीफ़ की।
यह सब जानने के बाद लिंकन ने अपने कानूनी सलाहकार को बुलाया। और कहा कि भले ही उसकी कोई सिफारिश नहीं है पर वह इस काबिल है कि उसकी शेष सज़ा माफ़ की जाये। इसलिए मैं उसका संस्तुति पत्र लिखता हूँ।
राष्ट्रपति लिंकन ने अपने न्याय की मिसाल देते हुये उस कैदी की सज़ा माफ़ की।
जब कैदी को यह बात चली तो वह बहुत खुश हुआ और लिंकन के प्रति उसका हृदय श्रद्धा से भर गया।
अपने इसी न्यायप्रिय व्यवहार के कारण लिंकन इतने लोकप्रिय थे।
आज हमारे देश में लिंकन की तरह न्यायप्रिय नेता की आवश्यकता है।
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