पर्यावण प्रदूषण इस समय हमारे विश्व की सबसे जटिल समस्या का रूप ले चुकी है
और इसी प्रदूषण के कारण मानव समाज जीवन म्रत्यु का प्रश्न जुड़ गया है|
हम सबकी मिलकर इसे दूर करने के लिए सजग होना बहुत आवश्यक है
इसके लिये हमें मिलकर कदम उठाने चाहिये|
अगर जल्दी ही हमने इसके कोई उपाय न किये तो बहुत जल्दी ही वो दिन दूर नहीं जब
मानव का अस्तित्व ही खत्म हो जायेगा |वर्तमान में मनुष्य अपनी सुख सुविधाओं के लिये
प्राकृतिक सम्पदा का भरपूर उपयोग कर रहा है|
आने वाले भविष्य की उसे कोई चिंता नहीं है जिसके कारण ही ये प्रदूषण की समस्यायें सामने आई है |
अब इस संकट से मानव को ही अपने आप को निकालना है |
प्रदूषण क्या है ?
सबसे पहले तो हमें यह जानना जरुरी है कि प्रदुषण होता है क्या है
जैसा कि हम जानते है कि हमारी प्राक्रतिक सम्पदा है
जैसे भूमि, जल, वायु आदि में आये अवांछनीय परिवर्तन ही प्रदूषण कहलाता है
और ये दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है|
मानव हर रोज़ अपनी जिन्दगी को जिस तरह सजा संवार रहा है
उतना ही प्रदूषण वातावरण में बढ़ता जा रहा है |
हमारा आसमान ज़हरीले धुएं से भरता जा रहा है|
नदियों के पानी में गंदगी प्रतिदिन बढती जा रही है |
सारी जलवायु में o२ की कमी होती जा रही है विषैली गैसों का स्तर बढ़ता जा रहा है |
प्रदूषण के कारण :
1 वायु प्रदूषण
वायु प्रदूषण के कई कारण है जो हमारे वातावरण को प्रभावित करते है |
सबसे पहला कारण है जनसंख्या ब्रद्धि, जिसतरह जनसंख्या बढ़ती जा रही है|
उसीप्रकार ही प्रदूषण अपना अकाल रूप धारण करता जा रहा है|
औद्यिगिकीकरण के कारण हर रोज़ नये कारखानों और फक्ट्रियों का निर्माण हो रहा है|
जिसकारण वायुमंडल में विषैले धुंए की मात्रा बढती जा रही है|
इसके अलावा हमारे वाहनों से निकलने वाला धुआं भी हमारा वायुमंडल प्रदूषित कर रहे है |
जिस कारण शुद्द वायु की कमी हो गयी है |
शहरों की अपेक्षा गाँव में शुद्ध वायु का अनुभव किया जा सकता है क्यों कि वहां प्रदुषण की मात्रा कम है |
2 जल प्रदूषण :
नदियों और सागरों को भी सबसे ज्यादा प्रदूषित कारखानों से निकला हुआ जल करता है,
क्यों कि यह जल नदियों में वहा दिया जाता है|
इसमें उपस्थित केमिकल्स जल में मिलकर जल को प्रदूषित बनाते है,
न तो यह पीने योग्य बचता है न ही इसमें मछलियाँ जीवित रह पाती है |
कवीर तो कहते थे, बंधा हुआ पानी दूषित हो जाता है,
पर आज की स्थिति में तो बहता हुआ पानी भी निर्मल न रहा है |
मानव जाति भी जल में प्लास्टिक आदि प्रदूषित सामान फेक कर नदी को और भी गन्दा करते जा रहे है |
3 भूमि प्रदुषण :
इस समस्या से भूमि की उर्वरकता खत्म होती जा रही है |
भूमि पर हम जो भी कचरा फैलाते है वह भूमि की ऊपरी परत पर हानिकारक प्रभाव डालता है,
जिससे भूमि खेती योग्य नहीं रह जाती है |
ज्यादा केमिकल का उपयोग भी भूमि की उपज करने की शक्ति को कम करता है |
जनसंख्या बढ़ने के कारण भूमि पर मकान का निर्माण होता जा रहा है
और पानी की सुविधा के लिए बोरिंग करा लेते है जिससे भूमिगत जल की भी कमी होती जा रही है |
4 वृक्षों का अधिक मात्रा में काटा जाना :
अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिये वृक्षों का अत्यधिक मात्रा में काटा जा रहा है,
जिसकारण भी हमारी पृथ्वी का संतुलन बिगड़ रहा है |
पर्यावरण प्रदूषण रोकने के उपाय :
हमारे पर्यावरण की रक्षा करना हमारा अधिकार है क्यों कि हम इसी पर्यावरण में वास करते है|
प्रकति हमारी माँ के समान है| पर्यावण प्रदूषण की समस्या अब तो विश्वव्यापी बन चुकी है|
जिस कारण लोग नई-नई बिमारियों का शिकार हो रहे है |
मानव का जीवन एक संकट बन चुका है |
सबसे पहले पर्यावण प्रदुषण को रोकने के लिये हमें पेड़ों को काटने से रोकना होगा,
क्यों कि मानव जगत द्वारा जो भी गैसे छोड़ी जा रही है|
उनसे हमें पेड़ ही बचा सकते है इसीलिए अधिक सेअधिक वृक्ष लगाये |
वृक्ष वातावरण को संतुलन बनाने का सबसे महत्वपूर्ण साधन है |
हम जो अपना दैनिक कार्य करते है उससे जो भी कचरा निकलता है,
वो हमें कचरेदान में डालना चाहिए ताकि हमारी भूमि सुरक्षित और साफ़ रहे,
कारखानों और फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं को वातावरण में खुला न छोड़ा जाये,
बल्कि चिमनियों में फिल्टर लगा देने चाहिए|
इससे वायु में प्रदूषण काफी मात्रा में कम हो सकता है ,
और गंदे जल को नदियों में न बहाया जाये न ये खुले में शौच नहीं करना चाहिए|
हमेशा शौचालय का उपयोग करना चाहिए |
नदियों में मवेशियों को न नहलाया जाये न, गन्दी नालियों को बंद कर दिया जाये |
अपने पर्यावरण की रक्षा करके हम अपनी पृथ्वी को सुरक्षित रख सकते है,
और इसतरह मनुष्य का जीवन संभव हो सकता है|
अगर हमारा वतावरण साफ़ रहेगा तो हम सब निरोगी होंगे|
अगर हमने हमारे पर्यावण की रक्षा नहीं की तो एक दिन पृथ्वी का विनाश हो जायेगा |
हमें प्रदूषण से बचने के लिये अपने आसपास का वातावरण स्वच्छ रखना बहुत जरूरी है |
Speak Your Mind