Best Hindi Story on Tenalirama in Hindi तेनालीराम की चतुराई

तेनालीराम की चतुराई

Best Hindi Story on Tenalirama in Hindi

तेनालीराम की चतुराई Best Hindi Story on Tenalirama in Hindi

तेनालीराम की चतुराई Best Hindi Story on Tenalirama in Hindi

राजा कृष्णदेव राय के पास दस गुलदस्ते थे जो कि राजा को प्राणों से भी प्रिय थे

इन गुलदस्तों की साफ़ सफाई के लिये राजा ने एक अलग से सेवक भी लगाया था

जो कि इन गमलों की सुरक्षा, देखभाल किया करता था ।

 

एक बार साफ़ सफाई करते समय उस सेवक से एक गुलदस्ता टूट गया ।

जैसे ही यह खबर रजा को मिली तो राजा गुस्से में अपने आप को रोक न पाये और राजा ने हुक्म कर दिया

कि सेवक को सुबह होते ही फांसी पर चढ़ा दिया जाये तब तक के लिये उसको कारागार में डाला जाये ।

 

कुछ देर में ही उस सेवक को कारागार में डाल दिया गया ।

और जैसे ही यह खबर राजा कृष्णदेव राय के मंत्री तेनालीरामन को मिली

वह सीधे कारागार की और गये और कारागार में सेवक के कान में कुछ कहा और वहां से शीघ्र ही वापस आ गये ।

 

दूसरे दिन सुबह राजा कृष्णदेव राय अपने सभी दरवारी और मंत्री के साथ वहां पहुंचे जहाँ सेवक को फांसी पर लटकाना था । 

राजा ने सेवक से कहा बोलो तुम्हारी अंतिम इच्छा क्या है ?

तब सेवक ने कहा – महराज मैं एक अन्तिम बार वे नौ गुलदस्ते देखना चाहता हूँ ।

राजा ने एक नौकर को आदेश दिया कि जाओ गुलदस्ते यहीं पर ले आओ तब गुलदस्ते वही पर सेवक के सामने आ गये।

सेवक ने अचानक एक सिपाही के हाँथ से छडी खीचकर सब के सब गुलदस्तों पर वार कर दिया और सब गुलदस्ते चूर चूर हो गये ।

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राजा कृष्णदेव राय को गुस्सा आ गयी ।

उन्होंने अपनी तलवार निकल ली और क्रोध में आकर बोले हे मुर्ख इंसान तूने ये क्या कर डाला ? 

उसने भी तेज़ स्वर में कहा – मैंने कुल नौ लोगों को फांसी पर चढ़ने से बचा लिया अब नौ और भी लोगों की जान नहीं जाएगी ।

अब आप मुझे फांसी पर चढ़ा सकते है अब मैं ख़ुशी- ख़ुशी मरना चाहूँगा ।

 

यह सुनकर राजा कृष्णदेव राय को अपनी गलती का अहसास हो गया ।

और तुरंत ही उसकी सजा भी माफ़ करने की बात करने लगे , पर राजा कृष्णदेव राय समझ गये

कि यह सेवक इतना समझदार तो नहीं है ।

 

तब उन्होंने उस सेवक को कहा – कि ऐसा करने का ज्ञान तुमको किसने दिया है ।

मुझे उसका नाम बताओं मैं तुमको रिहा कर दूंगा ।

तब सेवक ने तेनालीरामन का नाम बताया ।

 राजा कृष्णदेव राय ने तेनालीरामन को देखते हुए मुस्करा कर बोले मैं जानता था ।

ये दिमाग केवल तेनालीरामन का हो सकता है और उस सेवक  को रिहा कर दिया ।

 

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है

कि हम अपनी सूझ- बूझ से बड़ी से बड़ी परेशानियों का समाधान चुटकी में कर सकते है ।

 

 

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