फ़िराक़ गोरखपुरी के मशहूर शेर
Famous Sher of Firaq Gorakhpuri

फ़िराक़ गोरखपुरी के मशहूर शेर Famous Sher of FIRAQ GORAKHPURI
फ़िराक़ गोरखपुरी उर्दू भाषा के प्रसिद्ध रचनाकार है। उनका मूल नाम रघुपति सहाय है उनका जन्म गोरखपुर उत्तर प्रदेश में हुआ।
एक मुद्दत से तेरी याद भी न आयी हमको
और हम भूल गए हों तुम्हें ऐसा भी नहीं
बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं
तुझे ए ज़िंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं
कोई समझे तो एक बात कहूँ
इश्क़ तौफ़िक़ है गुनाह नहीं
आये थे हँसते खेलते मै खाने में फ़िराक़
जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गये
तुम मुख़ातिब भी हो क़रीब भी हो
तुमको देखें कि तुमसे प्यार करें
अब तो उनकी याद भी आती नहीं
कितनी तनहाँ हो गई तनहाइयाँ
रात भी नींद भी कहानी भी
हाँ ये क्या चीज़ है जवानी भी
कौन ये ले रहा है अंगड़ाई
आसमानों को नींद आती है
ज़ब्त कीजे तो दिल है अंगारा
और अगर रोए तो पानी है
ज़ब्त – बर्दाश्त
तौफ़िक़ – साहस
MUST READ
न जाने क्या है इस खामोशी का सबब
कुछ नहीं कहना है कुछ नहीं सुनना है
तनहाँ सी ज़िंदगी
तुम भी क्या ख़ूब कमाल करते हो
हमारे देश की महान नारी
क्य वाक़ई में भारत आज़ाद हो गया है
ये ख़ामोशी ये रात ये बेदिली का आलम
कभी कभी अपनी परछाईं से भी डर लगता है
मैंने चाहा था चलना आसमानों पे
कविता लिखी नहीं जाती लिख जाती है
अभी अभी तो उड़ान को पंख लगे हैं मेरी
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