मैं खुश हूँ कि मैं हूँ
Happiness poetry in Hindi
मैं खुश हूँ कि मैं हूँ
मैं बस यूँ ही खुश हूँ कि मैं हूँ….
कि मैं हूँ…
मैं खुश हूँ कि मैं जानती हूँ खुद को
मैं खुश हूँ कि मैं मानती हूँ खुद को
अब इसे गुमान कहो या गुमां
या कह दो इसे पानी का बुलबुला
मैं बस यूँ ही खुश हूँ कि मैं हूँ….
कि मैं हूँ…
अब इसे स्वाभिमान कह दो या अभिमान
या फिर कह सकते हो मुझे नादान
मैं बस यूँ ही खुश हूँ कि मैं हूँ….
कि मैं हूँ…
मैं खुश हूँ कि मैं जी रही हूँ
और अब भी जिन्दा हूँ
आत्मा मरी नहीं है मेरी
और ज़मीर मेरा जिन्दा है
मैं खुश हूँ कि…
साँसे अब भी चल रहीं हैं मेरी
मेरे अन्दर की ख़ुशी जिन्दा है
मेरे अन्दर भी मैं जिन्दा हूँ
मैं बस यूँ ही खुश हूँ कि मैं हूँ….
कि मैं हूँ..
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