प्रकृति पर प्रेरणादायक हिंदी कविता
Hindi Poem on nature
हे विधाता।
तुम हो प्रकृति के
सुन्दरतम चित्रकार
फूलों के सौम्य रंग।
तितलियों के पंखों की चंचलता।
पहाड़ों पर बहता
श्वेत शान्त धवल झरना
या नीले आसमानी
आकाश पर चांद सी बिन्दिया
उगता सिन्दूरी सूरज
या ढलती हुयी शाम
मोर के पंखों के रंग सी उमंग
या जेब्रा की विशिष्ट
काली सफेद धारियाँ
पानी की पारदर्शक बूंदे
या उनसे बनता इंद्रधनुष
काली रात पर झिलमिल सितारे
या समन्दर की खड़खड़ाती लहरें
हरे- पीले सुर्ख जर्द पत्ते
या दूर तक फैली मखमली घास
पर इंसानों की दुनियां में
तुम्हारा हुनर कहाँ खो जाता है
दो स्वभावों के रंग इतने
खराब क्यों मिलाते हो
इतने सारे लोगो के स्वभावों में
तुम्हारा चिलकर मन
क्यों आतंकवादी सा क्रूर हो जाता है
इतने बुरे रंग संयोजन कर
कैसे चैन से बैठ पाते हो
क्या मिलता है तुम्हैं
यू अशान्ति फैला कर
शायद ये सोचते हो – क्या- ?
कि अशांत भटकते अतृप्त मन
ही खोज पायेंगे
प्रकृति की सुन्दरता
और करेंगे विश्वास
तुम्हारी अजेय सत्ता में
अपनी एक कृति की श्रेष्ठता
सिद्ध करने के लिये
तुम दूसरे के प्रति
इतने निर्मन कैसे हो जाते हो।
या फिर तुम्हारे अंदर भी
छिपे है
सभी की तरह दो रूप।
एक उजला तो – तो एक स्याद
एक जिसे जानते है हम
और दूसरा जिसे
रह जाता है जानना शेष !
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Name: Venus Singh
Profession: Teacher
We are grateful to Venus Singh for sharing this beautiful Poetry with us.
अद्भुद. बहुत ही उम्दा लिखा है सर आपने.
Thank you…