Hindi Poetry on Coincidence इत्तेफाक पर हिंदी कविता

Hindi Poetry on Coincidence 

इत्तेफाक पर हिंदी कविता 

Hindi Poetry on Coincidence इत्तेफाक पर हिंदी कविता

Hindi Poetry on Coincidence इत्तेफाक पर हिंदी कविता

होता नहीं है कुछ भी

कभी इत्तेफ़ाक से

इत्तेफ़ाक भी होता नहीं

कभी इत्तेफ़ाक से

 

जिन्दगी के किसी मोड़ पे

जब होता है ये एहसास

हर वाकिये की वजह

होती है कुछ खास

 

यूँ मुश्किलों का आना 

और आके चले जाना

होती नहीं है जीत

कभी इत्तेफ़ाक से

 

किस्मत की तो बात

करना फ़जूल है

ये होती नहीं मेहरबान

कभी इत्तेफ़ाक से

 

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Comments

  1. your bloge is very nice ….

  2. Nice Poem

  3. Afzal shaikh says:

    Apne hoslo k bal par hum, apni pratibha dikha denge, bhale koi manch na de humko, hum manch apna bana lenge, Jo kehte khud ko sitara hai jagmaga kar unke saamne hi , chamak kar denge unki phiki or suraj khud ko bana lenge……

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