Hindi Poetry on eyes एक लम्बा सा सफर तय करके थक गयीं हैं मेरी आँखे
एक लम्बा सा सफर तय करके
थक गयीं हैं मेरी आँखे
कल तक जो सब नया- नया सा लगता था
सब पुराना सा हो गया है
या फिर पुरानी सी हो गयीं हैं मेरी आँखे
कल तक ख्वाव देखती रहतीं थी मेरी आँखें
आज हकीकत में चुपके से झांकती हैं मेरी आँखें
ख्वाव भी बदले हुए से एहसास भी बदले हुए से
या फिर बदल गयीं हैं मेरी आँखे
कल तक जिन आँखों में रहते थे मोती छोटे छोटे
आज सैलाब सी लग रहीं हैं मेरी आँखें
आँसू कुछ ग़म के कुछ खुशियों के
या फिर ग़मगीन हो गयीं हैं मेरी आँखे
पहले कुछ खोयी हुई सी रहती थीं
जागते हुए भी सोयी हुई सी रहती थीं
अब तसब्बुर ही कुछ और है
सपनों की भी एक डोर है
या फिर कुछ ज्यादा हसीन हो गयीं हैं मेरी आँखे
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Nice article Priyanka aap ne bahut achi or useful Information share ki hai.
Thanks…
Beautiful