Hindi Poetry on favor एहसान पर हिंदी कविता

Hindi Poetry on favor

एहसान पर हिंदी कविता

Hindi Poetry on favor एहसान पर हिंदी कविता

Hindi Poetry on favor एहसान पर हिंदी कविता

कौन किसपे कर सकता है एहसान यहाँ

आसमान बरस के क्या जमीं पे एहसान करता है

चाँद, सूरज का निकलना भी तो कोई एहसान की बात नहीं

 

फूल अगर महकते हैं तो क्या एहसान करते हैं

हवाओं का बहना भी तो कोई एहसान की बात नहीं

माँ क्या सारी रात जागकर बच्चे पे एहसान करती है

 

मगर अपनों ने अपनों पे कर दिया है एहसान यहाँ

एक भाई अपने भाई की मदद को एहसान कहता है

 

कहते है कि किसी के लिये कुछ करके भुला देना ही बेहतर है

मगर उस भाई का क्या जो बहन की बेटी को गोद में खिलाने का क़र्ज़ माँग बैठा है

अपने दिए गये प्यार के एक- एक  पल का हिसाब माँग बैठा है

 

कौन कर पायेगा गरीबों की मदद यहाँ

हर वक़्त सुनाते रहते है अपने एहसानों की दास्तान

प्यार वो क्या किसी से खाक करते हैं

 

अपने ही बच्चे पे लोग कर देते हैं एहसान यहाँ

इतना एहसान करके वो भगवान को भी शर्मसार करते हैं

कौन किसपे कर सकता है एहसान यहाँ…

 

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Comments

  1. very nice and impressive lines…….

  2. VERY NICE

  3. कभी किसी पे एहसान करो तो उसे उसका एहसास कभी मत दिलाओ.
    प्रियंका जी आपने बड़े काम की चीज लिखी है. सच है प्यार करना कोई एहसान नहीं होता. प्यार में तो रब की इबादत होती है.

Trackbacks

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