नारी पर आधारित कविता Hindi poetry on woman emotion
ये बेहन्दी ये बाजूबंद ये चूड़ी ये कंगन
छुड़ा दिया है इन सबने मेरा घर आँगन
ये पाजेब ये झुमका ये गले का हार
बना दिया है इन सबने मुझे और भी जिम्मेदार
ये लड़ना, झगड़ना, ये रूठना मनाना
ये बिन बात तेरा मुस्कुराना
कर लिया तुमने मुझे
अपने दिल में गिरफ्तार
तेरे मेरे प्यार का छोटा सा
फ़रिश्ता जो आया है
उसी ने तो जीना सिखाया है
अधूरी सी जिन्दगी को
पूरा कर दिया उसने
सारे घर आँगन में
प्यार ही प्यार भर दिया उसने
अब ये एहसास होने लगा है लगातार
यही है मेरा प्यारा सा घर संसार
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