कब ख़ामोशी जुबाँ बन गई हिंदी शायरी
Best Hindi shayari
कब ख़ामोशी, जुबां बन गई
मैं क्या थी, आज क्या बन गई
चलते चलते, मैं खुद रास्ता बन गई
जागते- जागते, रात सुबह बन गई
बैठे बैठे सोचा, फिर आया मुझे याद
कुछ बातें याद आती हैं, भूलने के बाद
वक्त का तकाजा भी खूब है
छोटी सी बात दास्तां बन गई
उम्र गुजरी, गुजरती चली गई
हम रोक न पाए, लम्हे समेट न पाए
छूट गए सब, ख़ुशी और गमों के पल
ये महज, एक आदत सी बन गई
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कभी-कंही ख़ामोशी ही जुबां बन जाती प्रियंका जी. आपके शब्द बहुत अनमोल हैं.
Thank you sir…
These type of comment motivate me to write more and more and improve my self day by day.
Thank you so much…
आपने दो लफ्जों में बहुत अच्छी हिंदी शायरी, कविता शेयर की हैं, धन्यवाद!
Thanks…
bahut achhi shayari share ki hai aapne thank you share karne ke liye.