गांधी जयंती पर भाषण ।। Hindi Speech on Gandhi jayanti ।।Gandhi jaynti special Speech
आदरणीय प्रधानाध्यापक, शिक्षकगण और मेरे प्यारे दोस्तों आप सभी को नमस्कार,
“रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीता राम”
जैसा कि हम सभी जानते है कि आज 2 october गांधी जयंती का विशेष अवसर है।
गांधी जी जिनकी वजह से हम आज आज़ाद भारत में खुल के साँस ले रहे हैं। उन्हें हम बापू कहकर
भी बुलाते हैं। हम सभी उन्हें हमारे देश का राष्ट्रपिता मानते है ।
2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रुप में मनाया जाता है,
क्योंकि गांधी जी पूरे जीवन भर अहिंसा के उपदेशक रहे।
15 जून 2007 को संयुक्त राष्ट्र सभा द्वारा 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्ररीय अहिंसा दिवस के रुप में घोषित किया गया।
हम सभी हमेशा गांधी जी को शांति और सच्चाई के प्रतीक के रुप में याद करते हैं।
महात्मा गांधी अपने आदर्शों पर चलने वाले व्यक्ति थे। आज भी उनके आदर्शों की लोग सराहना करते हैं वे बहुत ही अनुशासित जीवन जीते थे।
चाहे वह समय का सदुपयोग हो या सच्चाई ईमानदारी और अहिंसा हो ये सारे गुण उनमें कूटकूट कर भरे थे।
आज भी उनका नाम न सिर्फ़ भारत में बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध है। आज भी हम अगर उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारे
तो हमें अपने जीवन में सफलता प्राप्त करने से कोई नहीं रोक सकता।
इस विशेष अवसर पर मैं गांधी जी के जीवन पर प्रकाश डालना चाहूँगा।
गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर नाम के एक छोटे से गांव में हुआ था।
उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था और उनकी माता का नाम पुतलीबाई था । उनकी पत्नी का
नाम कस्तूरबा गांधी था।गांधी जी के चार पुत्र थे।
जब बापू ने अपनी उच्चतर माध्यमिक शिक्षा पूरी की, तब उनके पिता उन्हें वकील बनाना चाहता थे,
इसलिए वह अपनी क़ानूनी शिक्षा पूरी करने के लिए इंग्लैंड गए। चार वर्ष उन्होंने वहाँ अपनी क़ानूनी शिक्षा पूरी की
और भारत वापस आ गए।
इंग्लैंड से वापस आने के बाद वह दक्षिण अफ़्रीका गये उन दिनों दक्षिण अफ़्रीका में वकीलों की बहुत माँग थी
वह वहाँ काम करने लगे। गांधी जी ने अपने जीवन काल के लगभग 20 वर्ष दक्षिण अफ़्रीका में बिताए,
वहाँ उन्हें नस्लवाद का सामना करना पड़ा।वहाँ काले गोरे का भेद बहुत चरम सीमा पर चल रहा था।
एक बार वह ट्रेन में यात्रा कर रहे थे उनके पास प्रथम श्रेणी का टिकट होने वावजूद उन्हें तृतीय श्रेणी में जाने के लिए कहा गया
और इनकार किए जाने पर उन्हें ट्रेन के बाहर फेंक दिया गया। इस घटना का उनके ऊपर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा।
उन्होंने दक्षिण भारत में भारतियों पर हो रहे अन्यायों के ख़िलाफ़ लड़ने का फ़ैसला किया। वे भारतीयों के नागरिक अधिकारों
और विशेषाधिकारों के लिए लड़े। इस प्रकार, उन्होंने एक राजनीतिक कार्यकर्ता बनने का फैसला किया।
सन 1915 में वह भारत लौट आए। अपनी वापसी के बाद वह गोपाल कृष्ण गोखले से मुलाकात की और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम
की गतिविधियों के बारे में चर्चा की।वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए। उन्होंने भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज़
उठाई। उन्होंने अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए कई आंदोलनो की शुरुआत की।
1920 में असहयोग आंदोलन, 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन, नमक आंदोलन, हरिजन आंदोलन ऐसे कई
आंदोलनों को भारत में चलाया।
1942 से 1947 का समय बहुत महत्वपूर्ण था इस बीच देश में बहुत बदलाव आए। हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के
कड़े संघर्ष की वजह से ब्रिटिश सत्ता हिलने लगी। एक और देश आज़ाद होने जा रहा था लेकिन दूसरी ओर हिंदू मुस्लिम दंगे बढ़ते जा रहे थे।
अंग्रेज़ी हुकूमत देश को दो हिस्सों में बाँटने पर ज़ोर दे रहे थे, अंत में देश को दो हिस्सों में बाँटने का निर्णय लेना पड़ा
और पाकिस्तान को अलग देश बनाया गया क्यों की गांधी जी के लिए देश की आज़ादी की क़ीमत ज़्यादा थी ।
बिना विभाजन के गांधी जी को आज़ादी का सपना पूरा होते नज़र नहीं आ रहा था, बल्कि भारत की आज़ादी असम्भव
नज़र आ रही थी। इसलिए यह ऐतिहासिक फ़ैसला लिया गया।
तभी पाकिस्तान का जन्म हुआ और आज भी भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव दिखाई देता है।
30 जनवरी 1948 को गांधी जी का दुखद निधन हुआ।
महात्मा गाँधी एक महान व्यक्ति थे जिन्होंने ब्रिटिश शासन से भारत की आजादी को आज़ादी दिलाने
के लिए बहुत संघर्ष किया और एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
वे ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत को आजादी दिलाने के केवल पथ-प्रदर्शक ही नहीं थे बल्कि उन्होंने दुनिया को साबित कर दिया
कि अहिंसा के पथ पर चलकर शांतिपूर्ण तरीके से भी आजादी पायी जा सकती है। वह आज भी हमारे बीच शांति और सच्चाई के प्रतीक
के रुप में याद किये जाते हैं।
जय हिन्द
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Best essay mahatma ki jivani itne short me nahi aani thi but aapne bahut achhe se explain kiya
Thank u…