Hindi story of admiral Richard
दृढनिश्चय पर हिंदी कहानी
एडमिरल रिचर्ड वर्ड एक बहुत ही आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चयी व्यक्ति थे।
वे जो भी काम हाथ मे लेते थे उसे पूरा करके ही दम लेते थे। बचपन से ही वे कुछ बड़ा काम करना चाहते थे, 12 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने अपनी डायरी में लिख दिया था कि मैंने फैसला कर लिया है मैं उत्तरी ध्रुव पर जाने वाला पहला आदमी बनूँगा। वे अपने बचपन में ही उत्तरी ध्रुव पर पहुंचने के लिये किये जाने वाले संघर्षो के बारे में प्रेरित हो चुके थे।
ये रोमांचित अभियान उन्हें इतना जच गया था कि उन्होंने 12 वर्ष की उम्र से इस अभियान के लिये तैयारी शुरू कर दी थी उन्हें हमेशा ठंडे मौसम में बहुत परेशानी होती थी चूंकि उत्तरी ध्रुव में मौसम ठंडा होता है इसलिये उन्होंने उत्तरी ध्रुव पर ठंड का सामना करने के लिये अपने शरीर को कठोर बनाया।
सर्दियों में भी उन्होंने कम कपड़े पहनना शुरू कर दिया , जिससे उनका शरीर पर्याप्त ठंड सहन कर पाये ओर उन्होंने कई मुश्किलों का सामना करने के लिये खुदको तैयार कर लिया। लेकिन उनके जीवन के अस्ली इम्तेहान अभी बाकी था,वे उत्तरी ध्रुव के अभियान की तैयारी के साथ साथ अमरीकी नॉलेज में नोकरी भी कर रहे थे।
एक दिन अचानक एक हादसा हुआ और उसमें उनके पैर की हड्डी टूट गई,इसके साथसाथ जब उनकी उम्र मात्र 28 वर्ष की थी तब शारिरिक अक्षमता के कारण रिटायर कर दिया वय था।
हम में से बहुत से लोग ऐसी परिस्थियों में हार मान लेते हे परंतु वर्ड ने ऐसा नही किया उन्होंने दूसरा रास्ता ढूंढ़ निकाला । उन्होंने सोचा कि अगर मैं उत्तरी ध्रुव पर पैदल नही जा सकता तो हवाई जहाज से तो जा सकता हूं ओर उन्होंने इसकी तैयारी शुरू कर दी।
अंततः रिचर्ड वर्ड उत्तरी ओर दक्षिणी ध्रुव पर हवाई उड़ान भरने वाले पहले व्यक्ति बने ।
ऐडमिरल रिचर्ड वर्ड का जीवन हम सभी के लिये एक प्रेरणादायी उदाहरण हे जिससे यह साबित होता हे कि अगर इंसान दृढ़ निशचय कर ले तो विषम परिस्थितियों के बावजूत भी सफलता प्राप्ति कर सकता हे इसके लिये हमारे अंदर दृढ़ इच्छा शक्ति का होना बेहद जरुरी है।
Speak Your Mind