भारतीय संस्कृति के संरक्षक महाराणा प्रताप
Hindi story of Maharana Pratap
बहुत पुरानी बात है। महाराणा प्रताप का मुगलों से युद्ध चल रहा था। महाराणा प्रताप के बेटे का नाम अमर सिंह था। अमर सिंह ने मुगल सेनापति अब्दुल रहीम खान को युद्ध में परास्त कर दिया था।
फिर उन्होंने मुगलों के सरदारों को कब्ज़े में ले लिया। उसके बाद मुगलों के हरम ( रनिवास) को भी कब्ज़े में ले लिया।
महाराणा प्रताप को जब यह समाचार मिला, तो वह बहुत नाराज़ हुए और गुस्से में युद्ध स्थल पर जाकर अमर सिंह पर गरज़ पड़े और बोले- इतना तुच्छ काम करने के पहले तू मर क्यों नहीं गया।
महाराणा प्रताप ने अमर सिंह को समझाते हुए कहा- हमारी भारतीय संस्कृति को आज तुमने लज्जित कर दिया। हमारी भारतीय संस्कृति में स्त्री पूजनीय होती है और तुमने एक स्त्री को बंदी बना लिया ये तुमने सही नही किया।
अमर सिंह पिता के सामने चुपचाप खड़े रहे।
महाराणा प्रताप वहाँ से फ़ौरन हरम में गए ; वहाँ जाकर बड़ी बेगम को प्रणाम किया।
और कहा- बड़ी बेगम साहिबा जो सर अकबर के सामने नहीं झुका वह आज आपके सामने झुकाता हूँ।
मेरे बेटे से जो अपराध हुआ है उसे क्षमा करें। आपको बंदी बनाकर उसने भारतीय संस्कृति का अपमान किया है।
अकबर को वहाँ मुग़ल हरम की चिंता हो रही थी। तब सेनापति ने उन्हें आश्वासन देते हुए कहा-आप चिंता न करें बेगम वहाँ उतनी ही मेहफूस हैं। जितनी शाही महल में रहती हैं।
अकबर बोले- लेकिन महाराणा प्रताप से हमारी जंग चल रही है। तब सेनापति ने कहा की महाराणा प्रताप भारतीय संस्कृति के संरक्षक हैं। वह बेगम को कुछ नहीं होने देंगे।
पर अकबर की चिंता कम नहीं हुई।
अगले दिन अकबर देखकर हैरान हो गए ; जब राजपूत सेनिकों की कड़ी सुरक्षा में राजकीय सम्मान के साथ शाही बेगम की पालकी आगरा के किले में पहुंची।
बादशाह अकबर बोले। महाराणा प्रताप जैसे राजा कम पैदा होते हैं, वे हिन्दुस्तानी सभ्यता के सच्चे रखवाले हैं।
ये सच है कि महाराणा प्रताप एक महावीर होने के साथ- साथ भारतीय संस्कृति के संरक्षक और स्त्रियों के प्रति उदार भी थे।
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