सीखते रहना ही जिंदगी है
Hindi story on learning
एक बार की बात है स्वामी राम तीर्थ विदेश यात्रा करने गये थे। जहाज से विदेश जा रहे थे। उसी जहाज में 90 वर्ष के जर्मन बुजुर्ग भी जा रहे थे। जब उनकी मुलाकात उन बुजुर्ग से हुई तो उन्हें पता चला कि बुजुर्ग चीनी भाषा सीख रहे हैं।
स्वामी रामतीर्थ आश्चर्यचकित हुए ओर सोचने लगे, आखिर उम्र के इस अंतिम पड़ाव में वह इतनी कठिन भाषा क्यूं सीख रहे हैं, यूँकि चीनी एक कठिन भाषा मानी जाती है। स्वामी रामतीर्थ बुजुर्ग को कई दिनों तक देखते रहे, लेकिन बुजुर्ग हमेशा भाषा सीखने में व्यस्त रहते थे।
आखिरकार स्वामी रामतीर्थ बुजुर्ग के पास गये ओर पूछने लगे, महाशय उम्र के इस पड़ाव में नई भाषा सीखने में अपना कीमती वक्त क्यों बरबाद कर रहे हैं, न जाने कितना वक्त आपको इस भाषा को सीखने में लगेगा, और कब आप इस भाषा का उपयोग करेंगे।
स्वामी रामतीर्थ की पूरी बात सुनकर बुजुर्ग बोले – आप जिस उम्र की बात कर रहे हैं, उसका तो मुझे पता ही नहीं चला सारा जीवन मैं काम में व्यस्त रहा। इंसान जब तक सीखता रहता है, वह बच्चा ही होता है, और सीखने की कोई उम्र नहीं होती।
इन्सान किसी भी उम्र में सीख सकता है और जहाँ तक मौत का सवाल है, वह तो पैदा होते ही हर पल सामने होती है। यदि उसके बारे में सोचता रहता तो शायद आज तक कुछ भी नही सीख पाता।
स्वामी रामतीर्थ उस जर्मन बुजुर्ग की लगन से बहुत प्रभावित हुये। जब वह भारत लौटे तो उन्होंने जहाज में मिले जर्मन बुजुर्ग के बारे में सबको बताया और अपने शिष्यों से कहा कि इंसान को हमेशा कुछ न कुछ सीखते रहना चाहिये कभी भी सीखना बंद नही करना चाहिये। ये कहानी से यह सिख मिलती हे कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती।
आपकी ये कहानी बहुत पसंद आई. धन्यवाद.
धन्यवाद…