यादों का इनबॉक्स।How to manage relation Hindi story
आज गेम खेलते – खेलते मेरे सेल पर जैसे माँ के कॉल की घंटी बजी हड़बड़ाहट में फोन मुझसे नीचे गिर गया , मेरी तो सांसे ही जैसे एक बार को रुक सी गई!
इतनी बैचेनी, डर, घबड़ाहट, तो अपने दसवीं के परीक्षा परिणाम के समय भी नहीं हुई थी। जिसकी उम्मीद थी, वो ही हुआ बैटरी, सिमकार्ड,मेमोरी कार्ड सब जो अब तक फोन रूपी एक ही आशियाने में रहते थे, आज अलग- अलग हो गये।
फिर जब मम्मी ने दोबारा मुझे फोन किया तो फोन बंद बताने लगा! मम्मी को बहुत चिंता हो रही थी सो उन्होंने मेरी सहेली जो कि कमरे में साथ रहती थी, उसके फोन पर फोन किया! मैंने फोन हाथ में लेते ही माँ को गुस्से में बहुत कुछ सुना दिया !
“आप के कारण आज मेरा फोन टूट गया! आप लोग मुझे घर से दूर भी अकेले क्यों नहीं रहने देते? दिन में चार वक्त फ़ोन करना जरूरी नहीं है! अब मैं बच्ची नहीं हूँ जो क्या खाना खाया, क्या कर रही हूं आप के इन सवालों का जवाब ही देती रहूँ दिनभर! आगे से आप मुझे कभी फोन नहीं करोगे”
और भी बहुत कुछ बोल दिया था उस दिन मैंने! उस पूरा दिन मैं सिर्फ अपने फोन के इनबॉक्स में सेव बहुत कुछ इम्पोर्टेन्ट डाटा के बारे और माँ से हुई बात के बारे में ही सोचती रही, देखा जाये तो ये बात उतनी बड़ी भी नहीं थी जिसकी वजह से मैंने मां को इतना सुना दिया था पर ये मेरे बचपन की आदत हर छोटी सी छोटी बात पर जल्दी से गुस्सा हो जाना और किसी को कुछ भी बोल देना! कब सोचते सोचते मेरी आँख लग गई पता ही नहीं चला!
जैसे ही आंख खुली फिर बिखरे अपने फोन के पार्ट्स पर नजर गई! चाय के लिये खड़े मेरे बैजू काका मुझे परेशान देख के कुछ देर मेरे पास बैठ गये! वो समझाते हुए बोले, जिन्दगी रूपी फोन में भी तो तुम्हारे फोन की तरह इनबॉक्स, आउटबॉक्स,ड्राफ्ट होते है
बातों बातों में काका ने बताया बातें जो मैंने माँ से बोली वो सब शायद उन्होंने सुन ली थी,
तब उन्होंने मेरे फोन को हाथ में लेते हुए कहा कि हम सब की जिन्दगी भी इस फोन की तरह ही तो है।
उन्होंने कहा- एक ना एक दिन सब टूट के बिखर जाने वाला है। वो समझाते हुए बोले,
मैंने कहा-वो कैसे काका ?
जिन्दगी रूपी फोन में भी तो तुम्हारे फोन की तरह इनबॉक्स, आउटबॉक्स,ड्राफ्ट होते है !
मैं कुछ समझी नहीं काका !
जैसे कि बेटा अभी तुमने आज अपनी माँ से जो बातें बोली।
वो सब याद करके अब तुम भी दुखी हो रही हो और वो भी दुखी हो रही होंगी और जब भी इस दिन को तुम दोनों याद करोगे दुखी ही होंगे। बस ये सब यादें ही तो इनबॉक्स है जिंदगी का!
मैंने कहा- आउटबॉक्स फिर क्या है मैंने पूछा !
काका बोले- जो पल जिन्दगी से निकलते गये वक्त के साथ – साथ , जो लोग हमें मिले फिर जो खो गये दुनियां की भीड़ में हम सब की तरह! कुछ अच्छा कुछ बुरा जो हुआ जिन्दगी में जो कि बस घाव दे गया वो सब आउटबॉक्स है !
जिन पलों को हम हमेशा जीना चाहते थे, वो अधूरे सपने , अधूरे रिश्ते, हमारी बहुत सी अनकही कहानियाँ, किस्से, ऐसा बहुत कुछ जिसे हमने अपने आने वाले कल के लिये संजो रखा है वो सब ड्राफ्ट में सेव रहता है!
तो बोलो बेटा है ना जिन्दगी एक फोन ?
मुझे ये बोल के काका तो चले गये पर ! जिन्दगी का एक बहुत बड़ा सबक सिखा गये और वो ये कि हम सब का सिर्फ अपनी जिन्दगी के इनबॉक्स,आउटबॉक्स और ड्राफ्ट पर ही नियंत्रन नहीं है! बल्कि दूसरो के इनबॉक्स में हम क्या भेज रहे है इस पर भी हमें विचार करना चाहिए !
उस दिन मैंने अपना और माँ का इनबॉक्स एक बुरी याद से भर दिया! अब मुझे बहुत बुरा लग रहा था ! मुझे एहसास हो गया था अपनी भूल का! अपनो की अहमियत रूपी सिम कार्ड के बिना जिन्दगी रूपी फोन का कोई महत्त्व नहीं होता।
वो महज एक खाली डिब्बा होती है। अब ये हमारे ऊपर ही निर्भर करता है कि हम अपनी और दूसरों की जिंन्दगी के इनबॉक्स को किस तरह भरते है ! मुझे अपनी ग़लती का एहसास हो गया था।
मैंने तुरंत अपनी सहेली के फोन से मां को फोन किया और माफी मांगी।
‘सॉरी मां’,किस लिये बेटा? उन सभी बातों के लिये,’जिन से मैंने अपने जन्म से अब तक आप का दिल दुखाया।
‘ मां- तुम तो मेरी जिंदगी के फोन की रिंगटोन हो। उस दिन ये सुन के यकीन आ गया कि मां हमारे दिल की हर बात बिन बोले समझ लेती है ! फिर मैंने, मां से घंटो फोन पर बातें करते हुए अपनी यादों के इनबॉक्स को खंगाल डाला !
अगले दिन मेरे हाथ में एक नया फोन था जो मां ने भेजा था, नये फोन से मैंने पहला कॉल मां को किया।
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Sach kaha maa dil ki dhadkan sun leti hai best hindi story