अच्छे स्वास्थ्य का राज ।
Importance of Good health in Hindi
एक बार राजा चन्द्रगुप्त तीर्थ यात्रा के लिये काशी जा रहे थे। रात होने पर उन्होंने किसी भी नगर के भव्य महल
में ठहरने की अपेक्षा वन में रुकना ही ज्यादा उचित समझा। वह आम के एक उपवन में ठहर गये।
वहां उनके भोजन और विश्राम की व्यवस्था की गयी।
लोगों ने उनके सम्मान में नृत्य और नाटकीय आदि के कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये, संयोगवश
अचानक उसी रात राजा चन्द्रगुप्त काफी बीमार पड़ गये। वैधों ने उनका उपचार कर उन्हें सही
तो कर दिया । मगर वे चिंता में पड़ गये । और विचार करने लगे।
यहाँ गाँव में कोई भी वैध नहीं है । वन और उसके आसपास बहुत से लोग रहते है। आश्रम में भी कई
लोग वास करते है और गाँव के लोग रहते है। अगर ये बीमार पड़ गए, तो उनके उपचार के लिये
यहाँ कोई वैध नहीं है।
एक वैध को उस क्षेत्र में स्थाईरूप से नियुक्त कर दिया कि जब भी कोई बीमार हो तो वह उसका
इलाज कर देगा। लेकिन वैध के काफी समय उस गाँव में रहने के बाद भी जब कोई मरीज अपनी
चिकित्सा कराने उनके पास नहीं आया।
तब एक दिन वैध ने परेशान होकर एक आचार्य से कहा- मुझे लगता है, कि मैं यहाँ
व्यर्थ ही रहता हूँ, यहाँ के लोग अस्वस्थ नहीं होते इसीलिये कोई मेरे पास उपचार कराने नहीं आते
है। या तो लोग मेरे पास आने में संकोच करते है।
तब आचार्य ने वैध की शंका का निवारण किया और कहा- भविष्य में भी शायद ही कोई आपके
पास चिकित्सा के लिये आये क्यों कि यहाँ पर रहने वाले व्यक्ति बड़े मेहनती है अथवा बड़ा
श्रम करते है।
उसे जब तक भूख बुरी तरह परेशान नहीं करती है, वह भोजन भी नहीं करता है। यहाँ सब
अल्पआहारी है। आचार्य ने अपना आशय स्पष्ट किया और आगे कहा- अगर इंसान के पास
उसकी भूख से कम भोजन की व्यवस्था हो और निति, नियमों से अर्जित धर्म से जुटाया आहार
हो, तो बीमारी पास नहीं आती है।
स्वास्थ्य रहने के लिये परिश्रम करना व पसीना बहाना ही पर्याप्त नहीं है। पवित्र मन की भी मनुष्य
को आवश्यक होती है। अपवित्र मन वाला मनुष्य कभी स्वस्थ्य नहीं रह पाता।
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