मैं हूँ या नहीं हूँ हिंदी कविता
Inspirational Hindi Poetry on myself
मुझे खबर नहीं है
कि मैं हूँ या नहीं हूँ
कभी लगता है कि मैं हूँ और
कभी लगता है कि मैं नहीं हूँ
कभी जब देख नहीं पाती
आखों के सामने का मंजर
जब कभी खो सी जाती हूँ
कभी अपने ही अन्दर
जागते हुए भी तसब्बुर
किसी और दुनिया का
कभी लगता है कि मैं हूँ और
कभी लगता है कि मैं नहीं हूँ
कभी जब देख नहीं पाती
इस दुनिया के ग़मों को
ये गरीबी ये मायूसी
ये मतलब परस्त लोग
घर से कभी निकलूं तो
मलाल होता है चंद रोज़
कुछ न कर पाने की चुभन
और हसरत कुछ करने की
अगले ही पल भूल जाना सब इस तरह
जिस तरह कुछ हुआ ही नहीं
कभी लगता है कि मैं हूँ और
कभी लगता है कि मैं नहीं हूँ
हूँ या नहीं हूँ ये और बात है मगर
दुनिया के गमों से मैं शर्मसार हूँ
कैसे मिटा दूं दिलों के फासले
साथ चलने लगें सारे काफिले
फिर अचानक याद आता है
ये है वही जिन्दगी जिसमें
मैं कभी हूँ कभी नहीं हूँ
कभी लगता है कि मैं हूँ और कभी लगता मैं नहीं हूँ…
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Heart Touching Lines 🙂
Thanks sir…
Hi
Firrrr
Se kamaaal Haan main bhi Socha Hoon key aab likhana dikha chahiye Galt Sahi magar shbd ja Jo aap piroti Haan is main to kai saal lag karenge magar kamaaal Haan mam
Thanks…