अहंकार पर हिंदी कहानी Inspirational Hindi Story on Ego
बहुत पुरानी बात हे एक ऋषी थे, उनका नाम अंगिरा था। वे अपनी विद्वता के लिये प्रसिद्ध थे।
अंगिरा ऋषि के कई शिष्य थे, जो उनसे ज्ञान प्राप्त करते थे उनके शिष्यों में एक बहुत ही प्रतिभावान शिष्य था। जिसका नाम उदयन था।
ऋषि उसको बहुत मानते थे। मगर कुछ दिनों से ऋषि महसूस कर रहे थे
कि उदयन में कुछ बदलाव आ रहा है। उसके व्यव्हार में उन्होंने परिवर्तन महसूस किया।
उसमें अहंकार आने लगा था और वह आलस्य का भी शिकार होता जा रहा था।
उदयन के इस व्यवहार से ऋषि दुखी हुए और उसे इससेसे बाहर निकालने के लिये उन्होंने एक तरकीब सोची।
उन्होंने एक दिन उदयन को बुलाया और बोले- “उदयन सामने जो अग्नि रखी है, उसमे अन्दर दहकते कोयले को ध्यान से देखो, कोयला दहकने के कारण कितना तेजस्वी लग रहा है।
उदयन ने अग्नि की तरफ देखा और बोला- ”जी गुरूजी”
उसके बाद गुरूजी बोले अब एक काम करो उस कोयले को निकालकर मेरे सामने रख दो मैं इसे पास से देखना चाहता हूँ।
उदयन समझ गया जरुर गुरूजी कुछ समझाना चाहते हैं।
उदयन ने कोयले को अग्नि से निकालकर गुरूजी के सामने रख दिया कुछ ही क्षणों में दहकता हुआ कोयला, राख में बदल गया।
तब ऋषि ने उदयन से कहा- “शिष्य तुमने देखा किस तरह दहकता हुआ कोयला कैसे अग्नि से दूर होते ही राख में बदल गया।”
“जिस प्रकार चमकदार कोयला अग्नि के तेज से विमुख होते ही राख में बदल गया उसी प्रकार एक प्रतिभावान व्यक्ति भी अभ्यास विनम्रता नेकी से विमुख होते ही, आलस्य और अहंकार का शिकार हो जाता है और धीरे धीरे वह निस्तेज और गुणविहीन हो जाता है।”
इसलिए दुनिया में हर इन्सान को यह बात समझ लेना चाहिये अभ्यास, सक्रियता, बुद्धिमत्ता और सफलता ही किसी व्यक्ति के जीवन को सार्थक बनाते है।
इन गुणों को अपनाकर ही हम सफल व्यक्ति बन सकते हैं।
जब किसी व्यक्ति पर अहंकार और आलस्य हावी हो जाता है, तो उसकी प्रतिभा और गुण नष्ट होने लगते हैं।चूँकि उदयन एक प्रतिभाशाली शिष्य था इसलिए वह जल्द ही गुरूजी की बात को समझ गया।
उदयन ने उसके बाद आलस्य और अहंकार को त्याग दिया।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपने गुणों पर कभी अहंकार नहीं करना चाहिये।
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