मदद पर हिंदी कहानी
Inspirational Hindi story on help
बहुत पुरानी बात है. भारत में एक नगर था, जिसका नाम कपिलवस्तु था। वहाँ के राजा का नाम शुद्धोदन था। वे बड़े ही न्यायप्रिय राजा थे। उनके पुत्र का नाम सिद्धार्थ था।
एक दिन शाम को सिद्धार्थ मंत्री पुत्र देवदत्त के साथ घुमने जा रहे थे। तभी सिद्धार्थ को आकाश में उड़ते दो राजहंस दिखे। उन्हें देखकर सिद्धार्थ बड़े प्रसन्न हुए और देवदत्त की और इशारा किया की देखो ये राजहंस कितने प्यारे लग रहे हैं।
देवदत्त ने आसमान में देखा और बिना कुछ कहे एक पक्षी को अपने वाण से मार गिराया। इससे सिद्धार्थ बड़े दुखी हुए और दौड़कर उस राजहंस को गोद में उठा लिया।
तब देवदत्त पीछे से आये और बोले
“इस पक्षी सिर्फ मेरा अधिकार है इसे मैंने मार गिराया है।”
सिद्धार्थ चुप रहे क्योंकि उनके लिए उस वक़्त उस पक्षी का जीवन बचाना महत्वपूर्ण था। देवदत्त से बिना कुछ कहे उस पक्षी को लेकर अपने भवन में चले गए और पक्षी की सेवा में लग गए उसकी चोट पे मरहम लगाया।
देवदत्त भी उस वक़्त वहाँ से चले गए। परन्तु देवदत्त कुछ समय बाद न्याय प्राप्ति के लिए महाराज के पास गए।
महाराज ने सिद्धार्थ और देवदत्त को राज्दार्वार में बुलाया। एक ओर देवदत्त खड़े थे और एक और सिद्धार्थ पक्षी को गोद में लेकर खड़े थे।
महाराज ने दोनों को अपनी बात रखने की आज्ञा दी इस पर;
देवदत्त ने कहा-
“महाराज मैंने इस पक्षी को वाण मारा इसलिए इस पर मेरा आधिकार होना चाहिए।”
सिद्धार्थ बोले-
“मैंने इसे बचाया है इस पर मेरा अधिकार होना चाहिए क्योंकि मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है।”
महाराज ने दोनों की बात सुनी और निर्णय पक्षी पर ही छोड़ दिया।
पक्षी को दोनों के बीच खड़ा कर दिया।
“पक्षी ने दोनों तरफ देखा और सिद्धार्थ के पास चला गया फिर देवदत्त के लाख बुलाने पर भी वह उनके पास नहीं गया।”
पक्षी ने इस सच को साबित कर दिया कि मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है।
सिद्धार्थ ने कुछ दिनों तक उस पक्षी की सेवा की और जैसे ही वह स्वस्थ हो गया। उसे उड़ा दिया।
यही सिद्धार्थ आगे चलकर गौतम बुद्ध के नाम से प्रसिद्ध हुए।
Nice story…..Sach hai ki marne vale se bachane vala bada hota hai…..thanks…..
Thank you
Aapki story sabke liye ek acha sbak h Jo hr insane ke ander honi chahiye
Thank you…