जैन धर्म एवं बौद्ध धर्म | Jain Dharm And Boddha Dharma in Hindi
ई.पू. छटी का भारत के इतिहास में बड़ा महत्त्व है । इसी समय जैन धर्म एवं बौद्ध धर्म का अविर्भाव हुआ था ।
इसका उद्देश्य समाज में व्याप्त तत्कालीन अनियमितताओं और कुरीतियों को दूर करना था ।
जैन धर्म के संस्थापक प्रथम तीर्थकर ऋषभदेव हुये। बर्धमान महावीर जैन धर्म के चौबीसवे तीर्थकर थे ।
महावीर का जन्म कुंडाग्राम के राजा सिद्धार्थ के यहाँ हुआ था ।
वर्धमान (महावीर) बचपन से ही चिंतनशील एवं गंभीर स्वाभाव के थे । पिता की मृत्यु के बाद ही उन्होंने संन्यास ले लिया था ।
उन्होंने 12 बर्ष की घोर तपस्या की और उन्हें तब जाकर कैवल्य ज्ञान (सर्वोच्च ज्ञान) की प्राप्ति हुई ।
इन्द्रियों पर विजय प्राप्त करने के कारण वे जिन (इन्द्रयों को जीतने वाला) कहलाये और
उनके अनुयायियों को जैन कहा गया । जैन धर्म का मुख्य सिध्दांत अहिंसा है ।
जैन धर्म के अनुसार जीव हत्या न करना ही पर्याप्त नहीं है बल्कि हिंसा के विषय में सोचना ,
बोलना व दूसरों को करने देना भी अधर्म है । महावीर स्वामी ने पांच महाव्रतों
(सत्य, अहिंसा,अचौर्य,अपरिगृह व बम्हचर्य) के पालन का उपदेश दिया ।
बौद्ध धर्म :
बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा बुद्ध थे।
उनका नाम कपिल वस्तु के शासक शुद्धोधन के राज परिवार में लुम्बिनी नामक स्थान पर हुआ था ।
वे बचपन से शांत स्वाभाव के थे । सांसारिक दुखों से मुक्ति के लिये उन्होंने अपना घर, परिवार
बच्चे आदि सब कुछ त्याग दिया | ज्ञान की तलाश के लिये समाधिलीन हो गये ।
वैशाखी पूर्णिमा के दिन उनको सच्चे ज्ञान का प्रकाश मिला ।
जिस वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ।
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वह “बोधि वृक्ष” और वह स्थान बौद्ध गया के नाम से प्रसिद्द हुआ ।
महात्मा बुद्ध के शिष्यों ने उनके उपदेश एवं वचनों का संकलन त्रिपिटकों के रूप में किया ।
महात्मा बुद्ध मुख्य रूप से एक धर्म सुधारक थे ।
उन्होंने धर्म की कुरूतियों को दूर करने का प्रयत्न किया ।
महात्मा बुद्ध का मानना था कि मनुष्य के जीवन में आदि से लेकर अंत तक दुःख ही दुःख है ।
अतः इस दुःख के लिये उन्होंने चार आर्य सत्यों व अष्टांगिक मार्ग का अनुसरण करने के लिये कहा ।
भारत के अतिरिक्त लंका, चीन, जापान, जावा, सुमात्रा आदि देशों में बौद्ध धर्म का प्रचार- प्रसार हुआ ।
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