स्वर्ग कहाँ है प्रेरणादायक कथा
Meaning of worship Hindi story
एक बार की बात है। विधाता ने अपने दूतों को पृथ्वी पर भेजा और कहा। पता करो पृथ्वी पर स्वर्ग का सच्चा अधिकारी कौन है। दूत पृथ्वी पर चल दिये, उन्होंने कई तरह के लोग देखे ज्यादातर लोग अपनी कामना को पूरा करने के लिये पूजा पाठ उपासना में लिप्त थे।
दूत जब जंगल से गुजरे तो उन्होंने एक कुटिया देखी, वह उसके पास गये, वहां उन्होंने एक वृद्ध को देखा, वह एक दीपक जलाकर बैठा था। वह अपने पास एक पानी से भरा मटका रखे हुए था, वह राहगीरों को सही मार्ग बताता था साथ ही साथ जो राहगीर प्यासे होते थे। उन्हें जल पिलाता था। ताकि उनकी प्यास बुझ जाए।
सारी रात दूत वहीं बैठे रहे, उन्होंने देखा वह वृद्ध राहगीरों को रास्ता बताता रहा और जल पिलाता रहा. सुबह होते ही दूत उस वृद्ध के पास गये।
दूतों ने वृद्ध को नमस्कार किया और पूछा-
क्या आप भगवान् की उपासना पूजा-पाठ कुछ नहीं करते।
वृद्ध बोला- उपासना क्या होती है. इसका मुझे ज्ञान नहीं है. मैं पूजा पाठ कुछ नहीं करता.
दूतों को बड़ा आश्चर्य हुआ !
उन्होंने कहा तुम्हे क्या इतना भी मालूम नहीं है कि स्वर्ग प्राप्त करने के भगवान् की उपासना करनी पड़ती है।
वृद्ध बोले- मेरी सारी रात राहगीरों को रास्ता दिखाने और जल पिलाने में चली जाती है, और सारा दिन विश्राम करने और कुछ अपने कामों को करने में निकल जाता है। मेरे पास पूजा-पाठ और उपासना का वक्त नहीं है
दूतों को वृद्ध की बातें बड़ी विचित्र लगी, क्योंकि पृथ्वी पर सभी इस बात पर भरोसा करते हैं कि पूजा-पाठ और उपासना से स्वर्ग की प्राप्ति होती है.
दूत वापस विधाता के पास गये और पृथ्वी की यात्रा का विवरण सुनाया.
जब विधाता पृथ्वीवासियों का हिसाब-किताब देखने लगे, तब उस वृद्ध की बारी आयी.
दूतों ने तुरंत भगवान् से कहा- इसका विवरण देखने की कोई आवश्यकता नहीं है. इसे तो जप तप पूजा- पाठ, उपासना, मोक्ष का कोई ज्ञान नहीं है. वह कभी भी कोई पूजा पाठ उपासना नहीं करता.
तब भगवान् ने दूतों समझाया- वह वृद्ध अज्ञानी नहीं है, बल्कि ही स्वर्ग का सच्चा अधिकारी है।
उसने भले है ईश्वर नाम नहीं लिया, लेकिन सेवाभाव से सारी रात राहगीरों को पानी पिलाया। इसलिए वह ईश्वर का नाम लिये बिना ही स्वर्ग का सच्चा अधिकारी बन गया।
उसने ईश्वर का नाम लेने वालों से भी अधिक पुण्य किया। सबसे बड़ी बात यह है कि उसने ईश्वर की व्यवस्था में अपना हाथ बँटाया।
इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है। सच तो यही है जो व्यक्ति मानवसेवा को ही अपना धर्म समझता है। उसे पूजा उपासना की आवश्यकता नहीं होती. उसे भगवान् कई गुना फल देते हैं।
आपकी कहानी हमारी बिटिया को भी बहुत पसंद आई. इस तरह की कहानियां बच्चों को सुनाने से उनका ज्ञान बढ़ता है.
धन्यवाद.
शुक्रिया, सर…
Awesome poem
Thanks
अच्छी स्टोरी है प्रियंकाजी ,
सच्चा स्वर्ग तो लोगों को राह दिखाने और उनका दुःख दूर करने में ही है ।
धन्यवाद…