मोरारजी देसाई का जीवन परिचय । Morarji Desai biography and history in Hindi

मोरारजी देसाई का जीवन परिचय 

Morarji Desai biography and history in Hindi

Morarji Desai biography and history in Hindi

Morarji Desai biography and history in Hindi

मोरारजी देसाई हमारे स्वतंत्र भारत के चौथे प्रधानमंत्री थे । सन 1977 में इंद्रागाँधी चुनाव हार गयी ।

और फिर जनता पार्टी सत्ता में आयी । मोरारजी देसाई का कार्यकाल 1977-1979 तक रहा ।

मोरारजी पहले ऐसे प्रधानमंत्री थे जो कि कांग्रेस पार्टी के न होकर जनता पार्टी के थे।

सन 1917 उन्होंने भारत और पकिस्तान में मतभेदों को कम करने की बहुत कोशिश की ।

 

मोरारजी देसाई एक ऐसे भारतीय थे ।

जिन्हें भारत का “भारत रत्न” एवम पकिस्तान का “निशान-ए-पाकिस्तान” दोनों ही देशों के सर्वोच्च सम्मान से नवाज़ा गया ।

उन्होंने जब प्रधानमंत्री के पद प्राप्त किया तब वह 81 वर्ष के हो चुके थे ।

जब वह प्रधानमंत्री बने तब आचार्य कृपलानी और जयप्रकाश नारायण ने उनकी बहुत मदद की ।

इसके पहले भी प्रधानमंत्री बनने की कई बार कोशिश भी की पर वे अपनी इस कोशिश में असफल रहे 

प्रारंभिक जीवन :

मोरारजी देसाई 29 फरवरी सन 1896 में गुजरात के बुलसर जिले के भसेली नामक एक छोटे से गाँव में जन्मे थे ।

उनके पिता का नाम रणछोड़जी देसाई था जो कि एक अध्यापक थे वह भावनगर में कार्यरत थे ।

मानसिक उलझनों के कारण उनके पिता के आत्म हत्या कर ली । जिस कारण उनके परिवार को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा,

लेकिन मोरारजी देसाई ने इन चुनोतियों का सामना किया , वे हार नहीं माने ।

और दृढ़ता से सारी विषम परिस्थितियों का सामना किया।

जब वह केवल 16 वर्ष के थे तब उनका विवाह गुजराबेन से कर दिया गया 

 

शिक्षा  :

मोरारजी देसाई जी की शिक्षा मुंबई के  एलफिंस्टन कॉलेज से हुई ।

यह मुंबई का महंगा कॉलेज माना जाता था । मुंबई में मोरारजी देसाई गोकुलदास तेजपाल नामक एक छात्रावास में निशुल्क रहते थे ।

वहां केवल 40 शिक्षार्थी ही निवास कर सकते थे ।  बचपन से ही मोरारजी देसाई शांत स्वाभाव के थे ।

पर पढ़ाई में बड़े तेज़ थे ।

उनको वाद विवाद की प्रतियोगिताओं  में तो महारथ हासिल थी । वह हमेशा ही ऐसी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते रहते थे ।

जब मोरारजी देसाई कॉलेज में पढ़ते थे । उसी समय उन्होंने गाँधी जी बालगंगाधर तिलक और भी अन्य बड़े बड़े नेताओं के भाषणों को सुना था ।

पहले उन्होंने अपनी कॉलेज की पढ़ाई की । उसके बाद उन्होंने सिविल की परीक्षा को पास किया ।

 फिर 1917 में सिविल सर्विस की नौकरी की । उन्होंने  12 साल तक डीपटी कलेक्टर के पद पर काम किया ।

 

मोरारजी देसाई का राजनितिक जीवन और स्वतंत्रता संग्राम :

सन 1930 में  उन्होंने सबसे पहले ब्रिटिश सरकार की नौकरी को छोड़ दिया और भारत के एक सिपाही बन गये ।

सन 1931 में वह कांग्रेस पार्टी की कमेंटी के सदस्य बने और अखिल भारतीय कांग्रेस की शाखा स्थापित की ।

सरदार बल्लव भाई पटेल के निर्देश पर उनको अध्यक्ष बना दिया गया।

फिर सन 1946 में मुंबई में उन्हें कर मंत्री और फिर गृह मंत्री बनाया गया ।

सन 1952 में वे मुंबई का मुख्यमंत्री के पद पर कार्यरत भी रहे ।

 

सन 1960 में मोरारजी ने संयुक्त महाराष्ट्र समिति के प्रदर्शकारियों पर  गोली चलाने का आदेश दिया ।

उसमे लगभग  105 लोगों की मौत हो जाने के कारण उनको मुख्यमंत्री के पद से हटा दिया गया और

वापस केंद्र में स्थानांतरित कर दिया गया उसके बाद उन्हें केंद्र सरकार में गृहमंत्री का पद दिया गया ।

तब वहां पर उन्होंने फिल्मों और नाटकों में होने वाली अभद्रता पर प्रतिबन्ध लगाया ।

उसके बाद उन्हें  राष्ट्र  के प्रति नेक और भ्रष्टाचार को कम करने वाले नेता के रूप में देखा जाने लगा ।

कांग्रेस पार्टी में उनका औदा बढ़ने लगा । लोग उन्हें नेहरू जी के बाद प्रधानमंत्री के रूप में देखने लगे ।

पर नेहरूजी की मृत्यु के बाद उन्हें प्रधानमंत्री न चुनते हुए लाल बहादुर शास्त्री को प्रधानमंत्री बनाया गया ।

यह उनके जीवन का एक बड़ा झटका था । अचानक 18 महीने बाद ही  लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु  हो गयी

और एक बार फिर मोरारजी देसाई को प्रधानमंत्री बनने का मौका मिला ।

पर इस समय भी नेहरु जी की बेटी इंद्रागाँधी को यह पद सँभालने का मौका मिला और उनको प्रधानमत्री बना दिया गया 

 

मोरारजी देसाई का इतिहास

मोरारजी को इंदिरा गाँधी के मंत्री मंडल में उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री का पद दिया गया ।

फिर अचानक सन 1969 में इंदिरा गाँधी ने उनसे वित्त मंत्री का पद वापस ले लिया ।

जिसकारण उन्होंने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया और इसतरह कांग्रेस पार्टी दो भागों में  बँट गयी ।

दो नेता बन गये । एक तरफ इंदिरा गाँधी थी और दूसरी तरफ मोरारजी देसाई थे ।

सन 1975 में  जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इंदिरा गाँधी के 1971 के चुनाव को अवैध करार दिया

तब बिपक्ष ने मिलकर इंदिरा गाँधी को इस्तीफ़ा देने के लिए मांग की गयी ।

 

सन 1977 में लोकसभा चुनाव हुआ और अच्छे व स्पष्ट बहुमतों से मोरारजी देसाई की जीत हुई।

और उन्होंने  81 वर्ष की उम्र में उन्होंने प्रधानमंत्री का पद प्राप्त किया । मोरारजी ने जनता को वादा किया था

कि वे अपने भारत के ख़ुफ़िया एजेंसी ’रॉ ’ को बंद कर देंगे और जीतने पर उन्होंने अपना वादा पूरा भी किया,

उन्होंने एजेंसी का बजट और आकार बहुत कम कर दिया ।

 

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जनता पार्टी ने भ्रष्टाचार को कम करने में और आपातकाल आदि मुद्दों को अपनी ताकत बनाकर कांग्रेस पार्टी को हरा दिया गया।

सन 1979 में राज नारायण और चौधरी चरण सिंह ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया

तब मात्र दो साल की अल्प अवधि  में ही मोरारजी देसाई को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा।

 

निधन 

मोरारजी देसाई ने 83 साल की उम्र में राजनीति से संन्यास ले लिया और मुंबई में रहने लगे। 1955 में 10 अप्रैल को 99 वे वर्ष की आयु में उनका देहांत हो गया  ।

 

 

 

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