Motivational Hindi story of Isha Masih
प्रभु ईशा का न्याय हिंदी कहानी
एक बार की बात है, प्रभु ईशा जो कि एक महान व्यक्ति थे। उनके ढेर सारे शिष्य थे, उनमे से एक
शिष्य ने उनके खिलाफ जूठी गवाही दे दी।जिसकी वजह से अन्य शिष्यों को बहुत गुस्सा आया।
एक शिष्य ने ईशा से बोला- इसका इतना पतन कैसे हो गया कि वह आपके खिलाफ झूठ बोलने
के लिये उतारु हो गया। उसे जरा भी हिचक नहीं हुई, उसे इस पाप का दंड मिलना ही चाहिये।
ईशा मुस्कुराये और बोले –
हमे ऐसा नहीं सोचना चाहिये. हमें उसके प्रति दुर्भावना नही रखना चाहिये। बल्कि हमें उसके लिये ईश्वर से प्रार्थना
करनी चाहिये कि वह उसे माफ कर दें। रही असत्य बोलने की बात,तो
कब क्या होगा ये कोई नहीं जानता किसी भी समय कोई भी व्यक्ति झूठ बोल सकता है”
यदि में तेरे बारे में कहूं कि मुर्गे की तांग देने से पहले तू भी झूठ बोलेगा, तो तुम्हें इस बात पर यकीन नहीं होगा”
इतने में सिपाही आये और ईशा को पकड़ने लगे चारों तरफ शिष्यों में हड़बड़ी मच गई सब यहाँ वहाँ छिपने लगे।
जिस शिष्य से ईशा बात कर रहे थे… वह छिपने ही वाला था कि सिपाहियों ने उसे देख लिया,
उन्होंने उसे पकड़ लिया पूछा कौन है तू , जरूर तू ईशा का साथी होगा।
शिष्य डर गया ,अपनी जान बचाने के लिय बोला –
ईशा को तो मैं जानता ही नहीं मैं बस ऐसे ही किसी काम से यहाँ आया हूँ.
“इतने में एक मुर्गे ने बांग दी उसे तुरंत ईशा के शब्दों का स्मरण हो गया।”
वह अपने आप ही शर्मिंदा हो गया ओर सोचने लगा आखिर मैं कितना पापी हो गया हूँ अपनी जान बचाने के लिये मेने उन
सिपाहियों से झूठ बोला। उन से थोड़ी देर पहले ही में झूठ बोलने के लिये किसी की निंदा कर रहा था।
उसे ये बात समझ में आ गई कि हम हमेशा बिना सोचे समझे दूसरों की गलतियां देख लेते है, लेकिन अगर वही परिस्थिति
हमारे ऊपर आ जाये तो वही गलती करने में जरा भी नहीं झिझकते। उसे बहुत पछतावा हुआ ओर उसने निर्णय लिया कि
आज के बाद वह बिना सोचे समझे कभी भी किसी की भी निंदा नहीं करेगा।
इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हमे बिना सोचे समझे किसी की निंदा नहीं करनी चाहिये
शायद सामने वाले को किसी मजबूरी के कारण वह काम करना पड़ रहा हो
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