गाँधी जी का सादापन Motivational Hindi story of Mahatma Gandhi

गाँधी जी का सादापन

Motivational Hindi story of Mahatma Gandhi

गाँधी जी का सादापन Motivational Hindi story of Mahatma Gandhi

गाँधी जी का सादापन Motivational Hindi story of Mahatma Gandhi

बात उन दिनों की है, जब बापू दक्षिण अफ्रीका में थे, वहाँ वह सत्याग्रह कर रहे थे। उन्हें अचानक कुछ काम था, जिसकी वजह से उन्हें लन्दन जाना पड़ा। उस समय भारत के बहुत से नवयुवक लन्दन में पढ़ते थे।

उन नवयुवकों ने एक सभा करने का विचार किया। उन्होंने सभा की सारी तैयारियां कर ली थी। उन्होंने व्यवस्था कुछ इस तरह की थी। पहले भोज फिर भाषण. बाकि सब तो था, मगर उन्हें सभा के ये कोई सभापति नहीं मिल रहा था।

जब उन्हें पता चला कि गाँधी जी भी लन्दन में ही हैं, उन्होंने गाँधी जी को किसी तरह तैयार कर लिया। गाँधी जी इस शर्त पे तैयार हुए कि भोजन में मांस नहीं होगा।

युवकों ने उनकी बात मान ली। उसके बाद सभी अपने अपने कामों में व्यस्त हो गये, सभी ने एक- एक काम संभाल लिया। किसी ने हॉल की सजावट का काम संभाला, किसी ने बिछावन का काम संभाला। किसी ने चूल्हे को संभाला। कुछ रौशनी बत्ती के प्रबंध में लगे थे। कुछ लोग सब्जी काट रहे थे, कुछ पानी जमा कर रहे थे, उन्ही के बीच में एक दुबला- पतला व्यक्ति  था, जिसने थाली मांजने और फर्श साफ़ करने का काम संभाला था।

कई घंटे बीत गये मगर वह अपने काम में मस्त था। सुबह से शाम हो गई। आखिर उस सभा के उपप्रधान वहाँ आये। उनकी नज़र उस दुबले पतले युवक पर पड़ी।  उस युवक को देखकर वह हैरान हो गए। वह उस युवक के पास गये और बोले गाँधीजी।

गाँधी शब्द के उच्चारण मात्र से मानो वह हॉल हिल उठा।  उस हॉल में मौजूद सारे युवक सकते में आ गए. उनका दिल भर आया और श्रद्धा से सभी की आँखें नम हो गईं। सभी ने गांधीजी से हाथ जोडकर निवेदन किया कि वह काम न करें, मगर गाँधी जी उसी तरह काम में लगे रहे। उन्होंने खाना परोसा और सभी के साथ भोजन किया. उसके बाद सभापति बनकर भाषण भी दिया।

वास्तव में वे एक अनोखे सभापति थे। उनके व्यक्तित्व में कुछ अलग था, जो उन्हें औरों से भिन्न बनता था। उनका सादापन, उनका आत्मविश्वास और उनके काम करने का तरीका ये सभी भिन्न थे। यही कारण था कि न सिर्फ भारत में बल्कि भारत के बाहर भी वह प्रसिद्ध थे।

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हम चाहे जितने भी बड़े बन जाए मगर हमें अपनी सादगी नहीं छोड़नी चाहिए. हमारे अन्दर अहंकार नहीं आना चाहिए।

 

 

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Comments

  1. बहुत ही अच्छा.

  2. गाँधी जी के जीवन का सादापन ही उन्हें राष्ट्रपिता कहलाने का हकदार बनाता है . उनके जैसा व्यक्तित्व सदियों में ही एक बार आता है .

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