लालच एक बुरी बला | Motivational Hindi Story on Greed

लालच एक बुरी बला | Motivational Hindi Story on Greed

लालच एक बुरी बला | Motivational Hindi Story on Greed

लालच एक बुरी बला | Motivational Hindi Story on Greed

एक किसान था | वह बहुत गरीब था | वह खेत के एक छोटे से टुकड़े में अनाज बोता था |

और किसी तरह वह अपना जीवन यापन करता था | उसका कुछ ऐसा हाल था कि न खाने को दाना,

न पहनने  को कपड़े |

एक दिन की बात है उस दिन बहुत गर्मी थी और उस दिन किसान अपने खेत में काम कर रहा था |

किसान पसीने से भीगा था और खेत में बुआई कर रहा था | इस बीच ही जब वह खेत में खुदाई कर

रहा था उस समय किसान को जमीन से मर्तबान जैसा लकड़ी का एक बहुत बड़ा पीपा मिला |

किसान ने पीपे को बड़ी सावधानी से  निकाला | पहले तो किसान ये सोचने लगा कि वह

उस पीपे का कहा उपयोग करेगा | फिर किसान ने पीपे को पानी से धोया

और पीपे को खेत के किनारे रख दिया और फिर उसे याद आया कि वह जो भी रोटियां घर से

लाया है वह उस पीपे में रख सकता है उसने ऐसा ही किया और रोटियों को उसमें रख दिया |

दोपहर को किसान अपना काम समाप्त करके जब पीपे के पास गया तो उसने देखा कि पीपे के

अंदर रोटियां ही रोटियां भरी है |

 

वह एक जादुई पीपा था | उस पीपे में जो भी डाला जाता था उस चीज का इक्यासी गुना बढ़ जाता था |

जैसे एक बादाम डालो तो इक्यासी बादाम निकल आते थे |

किसान ने तृप्त होकर आराम से खाना खाया और बची हुई रोटियां राहगीरों को भी दी|

आज तो अनगिनत पक्षियों को भी भर पेट भोजन मिला फिर शाम में किसान पीपे को लेकर घर आया |

पीपे को पाने के बाद किसान की ख़ुशी फूले नहीं समा रहीं थी | किसान को लगने लगा था कि

अब वह दिन दूर नहीं जब उसके सारे दुःख दूर हो जायेंगे |किसान बिल्कुल भी लालची नहीं था उसने

बिल्कुल भी पीपे का दुरूपयोग नहीं किया | किसान को जब भी कोई चीज की जरुरत होती थी

वह उस पीपे की मदद से उस वास्तु को प्राप्त कर लेता था | बस खाने पीने की वस्तुयें उसको दूसरों में

बाँटना पड़ती थी| उसे यश तो मिलता था पर लोग अब यह सोचने लगे थे की इस गरीब किसान के घर

यह इतना सारा धन कहा से आ रहा है |

समय गुजरता गया और एक दिन उस पीपे के बारे में उस गाँव के जागीरदार को पता चल गया |

जागीरदार बहुत ही लालची व्यक्ति था उसे लगा कि इस जादुई पीपे पर तो केवल उसका अधिकार

होना चाहिये | जागीरदार के आदेश से किसान को उसके लठैत पकड़कर ले आये |

किसान से जागीरदार ने कहा कि जहाँ से तुम्हे पीपा मिला है वह जमीन हमारे हिस्से में आती है |

तो तुम बताओं कि यह पीपा किसका हुआ ?

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तब किसान बोला “यह बात सही है कि भूमि आपकी जागीर में है , पर पीपा जिस खेत में था,

वह खेत तो मेरा है | तो उस पर मेरा अधिकार हुआ  |

जागीरदार ने धमकाया कि पीपा मेरे हवाले कर दो नहीं तो मैं तुम्हे बंद करवा दूंगा |

जब किसान नहीं माना तो जागीरदार के आदमी  किसान के घर से पीपा ले आये |

पीपा को प्राप्त करके जागीरदार तो खुश हो गया पर, किसान बहुत दुखी हो गया |

अब पीपा जागीरदार का हुआ वह उसमें जो भी डालता वह इक्यासी गुना बढ़कर ही उसको बापस मिलता |

उसके परिवार के लोग तो खुश हो गये पर कुछ ऐसे भी लोग थे जो इस बात से बड़े दुखी थे कि पीपा

उनके पास क्यों नहीं है ?

उन्हीं में से कुछ लोगों ने जादुई पीपे की बात वहां के मंत्री तक पहुंचा दी |

मंत्री को पहले यकीन न हुआ तब उसने अपने एक विश्वसनीय नौकर को जागीरदार की पास

जाँचपड़ताल के लिये भेजा | उस नौकर ने जब जादुई पीपे का जादू देखा तो उसने जागीरदार को रोब

जमाते हुए कहा ये पीपा मुझे दे दो |

जागीरदार ने मंत्री को समझाने की बहुत कोशिश की परन्तु पीपा जागीरदार को अंत में

मंत्री को देना ही पड़ा | अब जैसे ही पीपा मंत्री को मिला तो मंत्री ने कामकाज करना ही छोड़ दिया |

लोगों को एक नया मौका मिल गया और उन्होंने मंत्री की शिकायत राजा से कर दी और साथ पीपे की

खबर भी राजा को दे दी |

राजा ने जैसे ही पीपे की बात सुनी तो वह स्वयम अपने सैनिक के साथ मंत्री से पीपा लेने चला गया

वहां जाकर बोला की यह सारी जमीन मेरे अधिकार में है तो यह पीपे को इज्जत के साथ मुझे  सौप दो |

इस पर केवल मेरा हक़ है |

मंत्री ने पीपा राजा को दे दिया और राजा पीपा पाकर बेहद प्रसन्न हो गया |

अब राजा ने पीपे की सहयता से अपने खजाने में बृद्धि कर ली |

अब राजा थोडा परेशान रहने लगा कि कही भी कोई इस पीपे को उससे छीन न ले |

राजा ने सोचा कि इस रहस्य का पता करना चाहिए कि इस पीपे में आखिर क्या है ?

यह जानने के लिये राजा उस पीपे के अंदर चला गया इस कारण उस पीपे के अंदर से इक्यासी

राजा बाहर आ गये | अब यह भी नहीं पता चल रहा था कि असली राजा कौन है ?

सब सिंहासन के लिये एकदूसरे से लड़ने लगे | इन सब परिस्थितियों को देखकर सबसे

अधिक दुःख किसान को हुआ |वह पश्चाताप करने लगा कि -“अच्छा ही होता कि मैं

उस पीपे को जमीन से बाहर ही न निकालता |”

इसीलिए कहते है लालच बुरी बला है | व्यक्ति का संतोषी होना अत्यंत आवश्यक है |

 

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