धर्म की सही व्याख्या
Motivational Hindi Story on Religion
एक यूनानी तत्वनेता थे, उनका नाम डायोजनीज था, उनसे एक अजनवी व्यक्ति ने पूछा – धर्म क्या है।
डायोजनीज ने कहा- धर्म की व्याख्या ऐसे कैसे की जा सकती है।
अजनवी ने कहा – मैं बहुत जल्दी में हूँ इसलिए कृपा करके आप 5 मिनट में धर्म की व्याख्या कर दीजिये।
डायोजनीज बोले- जैसे कि तुम जल्दी में हो वैसे ही मैं भी जल्दी में हूँ इतने कम समय में मैं धर्म की व्याख्या नहीं कर सकता। तुम एक काम करो, मुझे अपना पता लिखकर दे दो। मैं धर्म की व्याख्या लिखकर दे दो. मैं धर्म की व्याख्या लिखकर तुम्हे पंहुचा दूंगा।
अजनवी व्यक्ति ने कागज़ और पेन निकाला, उसमे अपना पता लिखा व उसे दे दिया. तब डायोजनीज ने पूछा – क्या यह तुम्हारा स्थाई पता है ?
क्या तुम हमेशा इसी जगह पर रहते हो कही जाते तो नहीं हो
अजनवी बोला – मैं एक जगह पर हमेशा कैसे रह सकता हूँ कभी-कभी मैं बाहर जाता हूँ ।
डायोजनीज ने कहा- यह मामला अस्थिरता का है।
जहाँ तुम स्थाई रूप से रहते हो, वहां का पता मिले बिना मैं तुमसे पत्र व्यवहार नहीं कर सकता। तुम मुझे उस जगह का पता बताओ जहाँ तुम स्थाई रूप से रहते हो यह सुनकर वह अजनवी गुस्से में आ गया, और झल्लाकर बोला –
मैं यही रहता हूँ कुछ बताना है तो बताओ वरना यहाँ से चले जाओ, तब डायोजनीज मुस्कुराये और बोले – बस यही तो धर्म है” अपने आप में रहना, आत्मचिंतन करना।
“अपने आपको पहचानना, अपने आपमें सुधार करना”
बस यही व्याख्या है धर्म की…
आज दुनिया का हर इंसान धर्म की बात कर रहा है हमेशा धर्म के नाम पर लड़ाई- झगड़े होते रहते है। असहिष्णुता का माहौल बना हुआ है। इंसान बाहर धर्म को खोज रहा है पर वास्तविक धर्म हमारे अंदर छुपा हुआ है, जिस दिन हमने इस बात को समझ लिया, वास्तविक रूप हमारे समक्ष प्रकट हो जाएगा।
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