कोयला और चन्दन Motivational Short Hindi Story of Good Company
हकीम लुकमान एक बहुत ही दयालु व्यक्ति थे। उनका पूरा जीवन ज़रूरतमंद की मदद के लिये
समर्पित रहा। जब उनका अंतिम समय नज़दीक आया तो उन्होंने अपने बेटे को अपने पास
बुलाया और कहा- आज मैं तुमको कुछ बताना चाहता हूँ –
बेटा देखो मैंने तो अपना सारा जीवन ही इस दुनिया को शिक्षित करने में गुज़ार दिया। अब मैं
अपने अंतिम समय में तुम्हें कुछ आवश्यक बातें बताना चाहता हूँ , लेकिन इससे पहले तुम एक
चन्दन और एक कोयले का टुकड़ा उठाकर ले आओ।
बेटे को पहले तो यह बात बहुत ही अटपटी लगी, मगर उसने सोचा कि जब पिता का हुक्म है तो
यह सब लाना ही होगा। उसने रसोईघर से कोयले का टुकड़ा लिया और संयोगवश घर में एक
छोटी सी चन्दन की लकड़ी भी मिल गयी। वह दोनों को लेकर पिता के पास जा पहुंचा|
उसे आया हुआ देख लुकमान बोले – जरा ठहरो तो बेटा और मुझे अपना हाथ दिखाओ। बेटे ने
अपने दोनों हाथ दिखाये, तो वह उसका कोयला वाला हाथ पकड़कर बोले – अभी देखा तुमने,
कोयला पकड़ते ही तुम्हारा यह हाथ पूरा काला हो गया।
जब उसने कोयला फेका फिर भी उसका हाथ काला था। तब उसके पिता ने कहा देखा तुमने
कोयले को फेक दिया, फिर भी तुम्हारे हाथों पर उस कोयले की कालिख लगी रह गयी, ठीक
ऐसे ही गलत लोगों की संगती भी एक तरह से कालिख की तरह ही होती है।
व्यक्ति को उनके साथ रहने पर भी दुःख होता है व उनके साथ न रहने पर भी जीवन भर बदनामी
साथ लग जाती है। दूसरी ओर, सज्जन लोगों के साथ चन्दन की लकड़ी की तरह है, जो साथ रहते है
तो दुनिया भर का ज्ञान मिलता है । और साथ छूटने पर भी उनके विचारों की महक जीवन भर बनी
रहती है । अतः सदैव अच्छे लोगों की संगति में ही रहना चाहिए ।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें हमेशा अच्छे लोगों की संगति में ही रहना चाहिये।
ताकि हम हमेशा अच्छे संस्कार गृहण करें।
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