QUOTES OF CHANKAYA IN HINDI
चाणक्य एक भारतीय शिक्षक दार्शनिक, अर्थशाष्त्री थे। उन्हें कोटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने मोर्य सम्राज्य की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। चाणक्य को भारत में एक महान विचारक और राजनैतिक के रूप में जाना जाता है।
आचार्य चाणक्य भारतीय इतिहास के सर्वाधिक प्रखर कुटनीतिज्ञ माने जाते हैं। उन्होंने ‘अर्थशास्त्र’ नामक पुस्तक में अपने राजनैतिक सिधान्तों का प्रतिपादन किया। जिनका महत्व आज भी स्वीकार किया जाता है।
कई विश्वविद्यालयों ने उनके ‘अर्थशास्त्र’ को अपने पाठ्यक्रम में निर्धारित भी किया है। आइये जानते हैं, उनके जीवन के कुछ महान विचार…
1: भगवान मूर्तियों में नहीं, आपकी अनुभूति आपका ईश्वर है, आत्मा आपका मंदिर है।
2: इस काम को व्यक्त मत होने दीजिये कि आपने क्या करने का सोचा है। बुद्धिमानी से इसे रहस्य बनाये रखिये। और इस काम को करने के लिए दृढ़ रहिये।
3: कोई व्यक्ति अपने कार्यों से महान होता है, अपने जन्म से नहीं।
4: सबसे बड़ा गुरु मंत्र है: कभी भी अपने राज दूसरों को मत बताएं। ये आपको बर्बाद कर देगा।
5: पहले पांच सालों में अपने बच्चे को बड़े प्यार से रखिये। अगले पांच साल डांट- डपट कर रखिये। जब वह सौलह साल का हो जाये तो उसके साथ मित्र की तरह व्यव्हार करिए। आपके व्यस्क बच्चे ही आपके सबसे अच्छे मित्र हैं।
6: कोई काम शुरू करने से पहले अपने आप से तीन प्रश्न कीजिये, कि मैं यह क्यों कर रहा हूँ, इसके क्या परिणाम हो सकते हैं, और क्या मैं सफल होऊंगा। और जब गहराई से सोचने पर इनके उत्तर मिल जायें, तभी आगे बढ़ें.
7: शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है। शिक्षित व्यक्ति हर जगह सम्मान पता है। शिक्षा, सौंदर्य और यौवन को परास्त कर देती है।
8: फूलों को सुगंध केवल वायु की दिशा में फैलती है, लेकिन एक व्यक्ति की अच्छाई हर दिशा में फैलती है।
9: हर मित्रता के पीछे कोई न कोई स्वार्थ होता है। ऐसी कोई मित्रता नहीं जिसमें जिसमें स्वार्थ न हो। यह कड़वा सच है।
10: वह जो हमारे चिंतन में रहता है। वह करीब है, भले ही वह दूर क्यों न हो; लेकिन जो हमारे ह्रदय में नहीं है वह करीब होते हुए भी दूर होता है।
11: सेवक को तब परखें जब वह काम न कर रहा हो, रिश्तेदार को किसी कठिनाई में, मित्र को संकट में, और पत्नी को घोर विपत्ति में।
12: जो सुख शांति व्यक्ति आध्यात्मिक शांति के अमृत से संतुष्ट होने से मिलती है, वह लालची लोगों को इधर-उधर घुमने से नहीं मिलती।
13: संतुलित दिमाग जैसी कोई सादगी नहीं है, संतोष जैसा कोई सुख नहीं है, लोभ जैसी कोई बीमारी नहीं है, और दया जैसा कोई पुण्य नहीं है।
14: वे माता पिता अपने बच्चों के लिए शत्रु के समान है, जिन्होंने अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा नहीं दी, क्योंकि अनपढ़ बालक का विद्वानों के समूह में उसी प्रकार अपमान होता है, जैसे हंसों के झुण्ड में बगुले की स्तिथि होती है। शिक्षाविहीन मनुष्य बिना पूँछ के जानवर जैसा होता है। इसलिए माता-पिता का कर्तव्य है, कि वे बच्चों को ऐसी शिक्षा दें। जिससे वो समाज को शुशोभित करें।
15: अधिक लाड़-प्यार करने से बच्चों में दोष उत्पन्न हो जाते हैं। इसलिए यदि वे कोई गलत काम करते हैं, तो उसे नज़रंदाज़ करके लाड़- प्यार करना उचित नहीं है। बच्चे को डांटना भी आवश्यक है।
16: जिस व्यक्ति का पुत्र उसके उसके नियंत्रण में रहता है, जिसकी पत्नी उसकी आज्ञा के अनुसार आचरण करती है, और जो व्यक्ति अपने कमाए हुए धन से पूरी तरह संतुष्ट रहता है। ऐसे मनुष्य के लिए ये संसार स्वर्ग के सामान है।
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