स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस संवाद

स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस संवाद Ramksrishna Paramhansa and Swami Vivekanand Conversation Hindi

Ramksrishna Paramhansa and Swami Vivekanand Conversation Hindi

Ramksrishna Paramhansa and Swami Vivekanand Conversation Hindi

स्वामी रामकृष्ण परमहंस स्वामी विवेकानंद के गुरु थे। एक बार स्वामी विवेकानंद ने 

रामकृष्ण परमहंस से कुछ प्रश्न पूछे।रामकृष्ण परमहंस ने उन प्रश्नों के कुछ अद्भुत  जबाब

दिए। उनके उस अद्भुत संवाद के  कुछ विशेष अंश प्रस्तुत हैं

 

स्वामी विवेकानंद : मुझे समय क्यों नहीं मिल रहा। जीवन इतना आपधापी से क्यों भर

गया है ?

रामकृष्ण परमहंस : गतिविधियाँ तुम्हें घेरे रहतीं हैं, लेकिन उत्पादकता तुम्हें आज़ाद करती है।

 

स्वामी विवेकानंद : जीवन इतना जटिल क्यों होता जा रहा है ?

रामकृष्ण परमहंस : सबसे पहले जीवन का विश्लेषण करना बंद कर दो । विश्लेषण जीवन को जटिल

बनाता है। इसे सिर्फ़ जियो।

 

स्वामी विवेकानंद : हम हमेशा दुखी क्यों रहते हैं ?

रामकृष्ण परमहंस : दुखी रहना एक आदत बन गयी है। इसलिए आप कभी ख़ुश नहीं हो पाते।

 

स्वामी विवेकानंद : अच्छे लोग हमेशा दुःख क्यों पाते हैं ?

रामकृष्ण परमहंस : जिस तरह हीरा बिना बिना घर्षण के नहीं चमकता। सोना बिना तपे शुद्ध नहीं होता

इसीप्रकार अच्छे लोग दुःख नहीं पाते बल्कि परीक्षाओं से गुज़रते हैं। जिन्हें तुम दुःख कहते हो वे दुःख

नहीं अनुभव हैं। इन अनुभवों से उनका जीवन और भी बेहतर हो जाता है।

 

स्वामी विवेकानंद : आपका कहने का क्या ये मतलब है कि ऐसा अनुभव उपयोगी होता है ?

रामकृष्ण परमहंस : हाँ हर लिहाज़ से अनुभव एक कठोर शिक्षक की तरह है , पहले वह परीक्षा लेता है।

और फिर सीख देता है।

 

स्वामी विवेकानंद : कई बार समस्याओं से घिरे रहने के कारण हम जान ही नहीं पाते हम कहाँ जा रहे हैं ?

रामकृष्ण परमहंस : अगर सिर्फ़ बाहर झाँकते रहोगे तो कभी नहीं जान पाओगे कि कहाँ जा रहे हो। पहले

अपने अंदर झाँकने की कोशिश करो। जिसतरह आँखें हमें दृष्टि प्रदान करती हैं। उसी तरह हृदय हमें राह

दिखाता है।

 

स्वामी विवेकानंद : क्या सही राह पर चलने से ज़्यादा असफलता कष्टदायक है ?

रामकृष्ण परमहंस : सफलता दूसरों द्वारा तय किया गया मानक  है, जबकि संतुष्टि

हम ख़ुद तय करते हैं।

 

स्वामी विवेकानंद : कठिन समय में अपने आपको  लगातार प्रेरित कैसे रखें ?

रामकृष्ण परमहंस : हमेशा इस बात पर ध्यान दें कि आप कितनी दूर आ चुके हैं,  बजाय इसके कि कितनी

दूर जाना बाक़ी है। जो कुछ पाया है उसे याद रखो जो नहीं मिल सका उसका पर अफ़सोस मत करो।

 

स्वामी विवेकानंद : लोगों की कौन सी बात है जो आपको हैरान कर देती है ?

रामकृष्ण परमहंस : जब लोग कष्ट में होते हैं तो हमेशा पूछते हैं “मैं ही क्यों”?  लेकिन जब वो समृद्ध होते तब

नहीं पूछते  “मैं ही क्यों “?

 

स्वामी विवेकानंद : मैं जीवन को सर्वश्रेष्ठ तरीक़े से कैसे जी सकता हूँ ?

रामकृष्ण परमहंस :  अपने बीते हुए कल का अफ़सोस करना छोड़े। अपने वर्तमान को पूरे आत्मविश्वास के साथ जियें ।

अपने भविष्य की तैयारी बिना किसी डर के करें ।

 

स्वामी विवेकानंद : एक आख़िरी प्रश्न कभी-कभी मुझे ऐसा क्यों लगता है मेरी प्रार्थनाओं के उत्तर नहीं मिल रहे ?

रामकृष्ण परमहंस : कोई भी प्रार्थना बेकार नहीं जाती । डर को अपने मन से निकाल दो। जीवन कोई समस्या नहीं है

बल्कि जीवन एक रहस्य है। अगर आप जानते हैं जीवन कैसे जीना है यह बेहद अद्भुत है।

 

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