सरोजिनी नायडू का जीवन परिचय ।
Sarojini Naidu Biography in Hindi
हमारे भारत में कोकिला के नाम से प्रसिद्द सरोजिनी नायडू ने हमारे भारत को स्वतंत्र कराने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
आपका नाम भी क्रन्तिकारी महिलाओं में गिना जाता है। हम सरोजिनी नायडू को हम भारत की नाइटिंगेल भी कहा जाता है।
सरोजिनी नायडू का प्रारंभिक जीवन
सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी सन 1879 में आंध्र प्रदेश के हैदराबाद शहर में हुआ था।
उनकी माँ का नाम वरद सुंदरी देवी था। पिता का नाम अघोरनाथ चट्टोपाध्याय था।
उनके पिता शिक्षक, वैज्ञानिक, डॉक्टर थे। उनके आठ भाई बहन थे।
उनकी एक बहन जिनका नाम सुनालिनी था जो कि एक डांसर थी। उनके एक भाई जो उनके बहुत ही करीब थे।
उनका नाम हरिंद्रनाथ था। जो, कि जाने माने प्रसिद्द कलाकार थे।
सरोजिनी नायडू ने केवल 12 वर्ष की उम्र में ही मेट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी।
मद्रास में पहला स्थान भी प्राप्त किया था। उनके पिता का मन था।
वह बड़े होकर एक वैज्ञानिक बने पर उनको कवितायेँ लिखने का शौक था।यह गुण उनकी माँ के अंदर था।
उनकी माँ को देखते हुये उनको भी यह शौक हुआ और वे धीरे-धीरे कवितायें लिखने लगी।
उन्होंने बहुत छोटी उम्र में एक 1300 लाइन की एक कविता लिख डाली थी। सरोजिनी इतनी अच्छी कविता लिखती थी।
कि हैदराबाद के निजाम ने उनकी कविता से खुश होकर उनको इंग्लैंड में पढाई करने के लिये छात्रव्रत्ति भी थी।
16 साल की उम्र में वे लन्दन पढ़ने गयी। और वहां के किंग्स कॉलेज में दाखिला लिया ।
और उसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज के ग्रिटन कॉलेज में भी शिक्षा प्राप्त की
सरोजिनी नायडू की कविताओं का स्वभाव :
सरोजिनी नायडू ऐसी कविताये लिखती थी कि सुनने वाला हर एक व्यक्ति मन्त्र मुग्ध हो जाया करता था।
उनकी कविताओं में बचपन झलकता था। फिर धीरे-धीरे उन्होंने अपनी कविताओं का स्तर बड़ा दिया ।
और अब उनकी कविताओं में नदी, झरने, पर्वत आदि भी समाहित हो गये।
यह कवितायें लिखते लिखते भारत की महान कवियित्री बन गयी।
और उन्होंने अपनी कविताओं से लाखों लोगों का दिल जीत लिया।
सरोजिनी नायडू का विवाह :
सरोजिनी नायडू जब इंग्लैंड में पढाई कर रही थीं। उस समय उनकी मुलाकात गोविन्द रूजुल नायडू से हुयी।
वहां उन दोनों में प्रेम हो गया और जब रूजुल अपनी पढाई करके भारत आये। तो सन 1898 में जब वह 19 साल की थी।
उस समय दोनों के परिवार वालों ने मिलकर प्रेमपूर्वक उनकी शादी कर दी। सरोजिनी ने अंतरजातीय विवाह किया था।
उनका वैवाहिक जीवन बहुत ही अच्छा था उनकी चार संताने भी हुयी।
सरोजिनी नायडू का स्वतंत्रता में योगदान :
जवाहरलाल नेहरु और रवीन्द्रनाथ टैगौर जैसे महान लोग भी उनकी कविताओं के प्रशंशक थे।
एक बार सरोजिनी की मुलाकात गोपाल कृष्ण गोखले से हुयी तो उन्होंने उनको कहा –
कि आप अपनी कविताओं के माध्यम से लोगों के स्वतंत्रता के लिये प्रोत्साहित कीजिये।
जिसके परिणामस्वरुप वे क्रांतिकारी कविताये लिखने लगी।
और जब भी कभी वे अपनी क्रांतिकारी कवितायेँ कही भी सुनाती थीं।
तो वहां की जनता के दिलों में स्वतंत्रता के लिये एक उज्जवल ज्योति जाग उठती थी।
सरोजिनी एक सच्ची देश भक्त थी। उन्होंने पुरे भारत का भ्रमण किया और स्वतंत्रता के लिये सबको प्रेरित किया।
1905 के बंगाल बिभाजन में उन्होंने बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने घर में बैठी महिलाओं को भी क्रांति के लिये प्रेरित किया।
सन 1916 में वे महात्मा गाँधी से मिली और उनके विचारों से अत्यधिक प्रभावित हुई। गाँधी जी ने उनकी सोच पुर्णतः बदल दी।
वह गाँधी जी को अपना आदर्श मानने लगी। उन्होंने गाँधी जी के साथ मिलकर असहयोग आन्दोलन,खिलाफत आन्दोलन आदि का समर्थन किया।
भारतछोड़ों आन्दोलन का समर्थन करने के कारण उन्होंने लगभग 21 दिन जेल में भी गुजारे। 1
930 का नमक सत्यागृह में भी इन्होने अपना योगदान दिया।
सरोजिनी नायडू की किताबें:
गोल्डनथ्रेस होल्ड , दी ब्रोकन विंग्स , दी वर्ल्ड ऑफ टाइम, सोंग ऑफ लाइफ , सोंग ऑफ लव , डेथ एंड दी स्प्रिंग ,
दी इंडियन विवर्स , दी मैजिक ट्री एंड दी विज़ार्ड मास्क आदि।
निधन :
2 फरवरी सन 1949 को अपने ऑफिस में काम करते हुये अचानक उनको हार्टअटैक आया और उनका निधन हो गया ।
Patriodic Poem by Sarojini Naidu in Hindi
The Gift of India
सरोजिनी नायडू की कविता द गिफ़्ट ऑफ इंडिया
क्या यह ज़रूरी है कि मेरे हाथों में
अनाज या सोने या परिधानों के महँगे उपहार हों ?
ओ ! मैंने पूर्व और पश्चिम की दिशाएँ छानी हैं
मेरे शरीर पर अमूल्य आभूषण रहे हैं
और इनसे मेरे टूटे गर्भ से अनेक बच्चों ने जन्म लिया है
कर्तव्य के मार्ग पर और सर्वनाश की छाया में
ये क़ब्रों में लगे मोतियों जैसे जमा हो गए ।
वे पर्शियन तरंगों पर सोए हुए मौन हैं,
वे मिश्र की रेत पर फैले शंखों जैसे हैं,
वे पीले धनुष और बहादुर टूटे हाथों के साथ हैं
वे अचानक पैदा हो गए फूलों जैसे खिले हैं
वे फ़्रांस के रक्त रंजित दलदलों में फँसे है
क्या में आँसुओं के दर्द को तुम माप सकते हो
या मेरी घड़ी की दिशा को समझ करते हो
या मेरे ह्रदय की टूटन में शामिल गर्व को देख सकते हो
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और उस आशा को, जो प्रार्थना की वेदना में शामिल है ?
और मुझे दिखाई देने वाले दूरदराज के उदास भव्य दृश्य को
जो विजय के क्षतिग्रस्त लाल पर्दों पर लिखे हैं ?
जब घृणा का आतंक और नाद समाप्त होगा
और जीवन शांति की धुरी पर एक नए रूप में चल पड़ेगा,
और तुम्हारा प्यार यादगार भरे धन्यवाद देगा,
उन कॉमरेड को जो बहादुरी से संघर्ष करते रहे,
मेरे शहीद बेटों के संघर्ष को याद रखना !
The Gift of India
Sarojini Naidu
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