पी पी कुमार मंगलम की महानता
Short Hindi story of P P Kumaramangalam
बात उस समय की है, जब इंदिरा गाँधी हमारे देश की प्रधानमंत्री थी। जनरल पी पी कुमारमंगलम थल सेना अध्यक्ष थे उनके काम करने का ढंग अत्यंत प्रभावी था। जितने भी सैन्य अधिकारी और कर्मचारी थे। वह उनके काम करने के ढंग और स्नेहपूर्ण व्यवहार से प्रभावित थे।
प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी भी उनके कार्य करने के ढंग से अत्यंत प्रभावित थी। उनका बहुत सम्मान करती थी। उन्होंने जनरल पी पी कुमार मंगलम को परमवीर चक्र से अलंकृत किये जाने की पेशकश की।
जब यह बात पी पी कुमार मंगलम को पता चली तो उन्होंने विनम्रतापूर्वक इनकार कर दिया।
प्रधानमंत्री इंदिरागांधी ने जब उनसे इसका कारण पूछा, तो उन्होंने कहा –
परमवीरचक्र उन जवानों और अधिकारियों को मिलना चाहिए, जो कि, आक्रमण के दौरान युद्ध के मैदान में अपनी जान की परवाह किये वगैर मात्रभूमि की रक्षा के लिये रात दिन खड़े रहते हैं।
हमलोग तो सिर्फ मुख्यालय में एक सुरक्षित स्थान पर बैठकर केवल उनका मार्गदर्शन करते हैं। युद्ध स्थल पर जो अधिकारी और जवान तैनात होते हैं। वह हर पल मौत से जूझते हैं। उनका संघर्ष अतुलनीय है। उनकी वीरता के लिए उन्हें यह सम्मान मिलना चाहिए।
मैं तो बस अपने देश के लिये हर सम्भव सेवा करने का प्रयास कर रहा हूँ. मुझे देशवासियों से जो सम्मान मिल रहा है साथ ही साथ अपने सहयोगियों से जो स्नेह मिल रहा है. वही मेरे लिए सबसे बड़ा पुरूस्कार है।
इसके बाद ‘परमविशिष्ट’ या ‘अतिविशिष्ट’ सेवा पदक देने की परम्परा का श्री गणेश हुआ जो कि उन सैन्य अधिकारियों को दिया जाता है।
जो युद्ध स्थल से दूर रहकर जवानों और अधिकारियों का उचित मार्गदर्शन करते हैं।
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