गोदान मुंशी प्रेमचंद  | Short Hindi Story Of PremChand upanyaas

गोदान मुंशी प्रेमचंद  |

Short Hindi Story Of PremChand upanyaas

गोदान | Short Hindi Story Of PremChand upanyaas

गोदान | Short Hindi Story Of PremChand upanyaas

 

गोदान प्रेम चन्द्र जी की उपन्यास है, इस उपन्यास में तत्कालीन युगt 

अपनी समस्त विकृतियों, विडम्बनाओं एवं सच्चाइयों के साथ चित्रित हो गया है ।

उसमें अपने समय का यथार्थ ही चित्रण नहीं हुआ है वरन तत्कालीन भारतीय कृषक का

इतिहास भी संरक्षित है | प्रेमचंद जी अपने युग और उस समय की परिस्थितियों से अच्छी तरह

परिचित थे | इसीलिए छोटे से छोटे प्रसंग उनके लिये ओझल नहीं रहे है।

 

अपने समाज की यह पहचान और इसे औपन्यासिक परिस्थितियों से अनुस्यूत कर देने की

क्षमता बिरले लोगों में ही होती है | वे यह जानते थे कि एक निष्क्रिय समाज पतन के लिये

किस बिंदु पर खड़ा है | तथा वही समाज सामाजिक जागृति पाकर जब जागता है,

तो वह किसतरह से अपने अतीत और वर्तमान के संकटो के बीच भविष्य के प्रति आशावादी होता है

सामाजिक चेतना के महीन बिन्दुओं को उन सामाजिकों के बीच प्रेमचंद ने पहचाना है ।

 

 

उन्होंने उस चेतना को स्वाभाविक रूप में प्राप्त किया डा. गंगा प्रसाद विमल इसी प्रसंग में लिखते है ।

उपन्यास कथा होरी जैसे साधारण किसान को केंद्र बनाकर चलती है किन्तु केन्द्रीय कथा में होरी मात्र

नायक के रूप में प्रस्तावित नहीं है , बल्कि वह स्वयं एक कथा सत्य के रूप स्थापित होता है ।

होरी की कथा में नगर एवं गाँव दोनों के अर्थतंत्र का खुला हिसाब प्रतीत होता है ।

परन्तु इन आधारों का पर गोदान केवल एक विचारकथा या समस्याओं की कथा नहीं है ।

बल्कि वह मानवीय संघर्ष की कथा है । एसी कथा जिसमे स्वाधीनता युग की स्वर क्रांति की लहरी

का ज्वार भी है, तो सारी लड़ाई का पराजय बोध थी ।

 

ये भी जरुर पढ़ें:-सुंदर पिचाई की जीवनी 

 

उपन्यास का नायक होरी इतना दीन हीन किसान है, कि उसके माध्यम से भारतीय कृषक वर्ग

की मार्मिक जीवन-यात्रा की सजीव झांकी प्रस्तुत हो गई है ।

भारतीय किसान ऋण में ही जन्म लेता है । ऋण में ही जीवित रहता है |

और अपने उत्तराधिकारी पर भी ऋण का भार छोड़कर मर जाता है ।

मरते समय उसके पास एक गाय तक नहीं बचती ।

गोदान उपन्यास एक एसे ही भारतीय किसान के जीवन की करुण त्रासदी है ।

 

उस उपन्यास में गाय की की आकांशा होरी के जीवन का सबसे मधुर सपना और सबसे बड़ी अभिलाषा है।

अपनी यह आकांशा पूरी करने के लिये वह कुछ भी उठा नहीं रखता ,पर पूंजीवादी शोषणचक्र उसकी अभिलाषा

को पीस डालता है । अंत में इस आकांक्षा की पूर्ति के लिये वह जी तोड़ परिश्रम करता है,

जो उसकी मृत्यु का कारण बनता है और वह गाय की अभिलाषा मन में ही लिये मृत्यु का वरण

कर लेता है ।

 

ये भी जरुर पढ़ें:-

सुभाष चंद्रा बोस की जीवनी 

शिवाजी महाराज का जीवन परिचय

भगत सिंह का जीवन परिचय  

लाला लाजपत राय की जीवनी 

भीमराव अम्बेडकर की जीवनी  

स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय 

रविंद्रनाथ टैगौर की जीवनी 

 

Friends अगर आपको ये Post ” गोदान |

Short  Hindi Story Of PremChand upanyaas  

”  पसंद आई हो तो आप इसे Share कर सकते हैं.

कृपया Comment के माध्यम से हमें बताएं आपको ये Post कैसी लगी।

 

FOR VISIT MY YOUTUBE CHANNEL

CLICK HERE

ऐसी ही कई शिक्षाप्रद कहानियाँ सुनने के लिए हमारे चैनल ज्ञानमृत को ज़रूर Subscribe करें।

DoLafz की नयी पोस्ट ईमेल में प्राप्त करने के लिए Sign Up करें

Speak Your Mind

*