ईमानदारी की पहचान
Short hindi story on Honesty
ये कहानी संत इब्राहीम की है जो कि एक महान व्यक्ति थे. एक बार संत इब्राहीम सैर के लिए गए थे. घूमते-घूमते अचानक उन्हें एक बगीचा दिखा और वह बगीचे में जा पहुंचे.वह एक धनवान का बगीचा था.
तभी वह धनवान बाहर आया धनवान ने देखा तो वह उन्हें कोई साधारण मजदूर समझ बैठा. उसे लगा शायद कोई काम की तलाश में आया है. उसे भी बगीचे की रखवाली के लिए एक आदमी की जरुरत थी.
उसने उनसे कहा-”तुझे यदि कुछ काम चाहिए, तो बगीचे में देखभाल और रखवाली का काम कर ले. इन दिनों मुझे एक आदमी की जरुरत भी है.”
इब्राहीम ने सोचा कि एकांत बागीचा साधना के लिए ठीक रहेगा . उन्होंने ख़ुशी- ख़ुशी तुरंत धनवान की बात स्वीकार कर ली. बस फिर उसी समय से वह बगीचे में रखवाली का काम करने लगे. धीरे-धीरे बगीचे का काम करते हुए उन्हें काफ़ी समय गुजर गया.
एक दिन बगीचे का मालिक अपने कुछ मित्रों के साथ घूमता हुआ बगीचे में आ गया. उसने इब्राहीम से अपने लिए कुछ आम लाने को कहा. संत इब्राहीम कुछ पके हुए आम तोड़कर ले आए, लेकिन दुर्भाग्य से वे सारे के सारे आम खट्टे निकले. इस पर बगीचे के मालिक ने नाराज़ होकर कहा- तुझे इतने दिन हो गए यहाँ रहते हुए, लेकिन तू अभी तक यह भी नहीं जान पाया कि किस पेड़ के आम खट्टे हैं और किस पेड़ के मीठे?
इब्राहीम ने जबाब दिया- आपने मुझे बगीचे रखवाली के लिए रखा है, फल खाने का अधिकार तो दिया नहीं. अब आप ही बताइए, आपकी आज्ञा के बिना में फल कैसे खा सकता था. और बगैर फल खाए, फल खट्टा है या मीठा यह कैसे जान पाता.
यह सुनकर मालिक बहुत शर्मिंदा हुआ. वह समझ गया कि यह कोई साधारण व्यक्ति नहीं बल्कि कोई महान व्यक्ति है. उसने फौरन उनसे क्षमा मांगी.
इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि महान व्यक्ति हमेशा साधारण और ईमानदार होते हैं. थोड़ा वक़्त जरुर लगता है लेकिन उनके गुणों से उनकी महानता ख़ुद-व-ख़ुद सामने आ जाती है. ईमानदार व्यक्ति हर जगह सम्मान पाता है.
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very nice story…..like this message…..
Very Nice story
THANK YOU PUSHPENDRAJI