स्वामी विवेकानंद और सिस्टर निवेदिता
Swami Vivekananda and sister Nivedita in Hindi
आज 12 JANUARY को हमारे देश के महापुरुष स्वामी विवेकानंद का जन्मदिवस है। उनका जन्म 12 JANUARY 1863
में हुआ। स्वामी विवेकानंद आज भी युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं। स्वामी विवेकानंद का जन्मदिवस राष्ट्रीय युवा पुरुष के रूप
में मनाया जाता है।
श्री रामकृष्ण परमहंस उनके गुरु थे। हमारी भारतीय संस्कृति को विश्वस्तर पर पहचान दिलाने का श्रेय स्वामीजी को जाता है।
स्वामी जी एक सच्चे देशभक्त, महान वक्ता, महान विचारक और लेखक थे। भारत का विकास ही उनके जीवन का मुख्य उदेश्य था।
स्वामी जी जब अपनी ओजस्वी आवाज़ में भाषण देते थे तो हजारों लाखों लोग मंत्र मुग्ध होकर सुनते रहते थे।
उनके एक-एक शब्द में जो उर्जा होती थी वह हर एक स्रोता के दिल को छू जाती थी। और हजारों लोग उनके शिष्य बन जाते थे।
एक बार स्वमी जी का भाषण इंग्लैड की एक विदुषी ने सुना उनका नाम ‘मार्गरेट नोबेल’ था। वे स्वामी जी के भाषण से बहुत प्रभावित हुईं।
और उनके महान विचारों के प्रति श्रद्धा उत्पन्न हुई। मन ही मन उन्होंने संकल्प किया कि मुझे भी स्वामी जी की बताई गई राह पर चलना है।
स्वामी जी के आह्वान पर देश की सेवा में समर्पित हो गईं।
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स्वामी जी ने उन्हें देश की सेवा और बंगाल में स्त्री-शिक्षा का कार्य सौंपा। और उन्हें एक नया नाम भगिनी निवेदिता दिया।
निवेदिता ने अनाथ बच्चियों के लिए अनाथाश्रम शुरू किया। और उनके पालन पोषण और शिक्षा की जिम्म्मेदारी ली।
निवेदिता ने संकल्प लिया कि वह ब्रिटिश सरकार से सहायता नहीं लेंगी।
उन्होंने देश के लोगों से सहायता लेकर आश्रम चलाया। एक बार एक धनी व्यक्ति के पास वह सहायता के लिए गईं। उन्होंने
उस धनी व्यक्ति से अनाथ बच्चियों की शिक्षा भरण पोषण के लिए सहायता मांगी। उस धनी व्यक्ति ने सहायता देने से इंकार कर दिया।
निवेदिता ने एक बार फिर सहायता के लिए निवेदन किया तो वह धनी व्यक्ति क्रोध में आ गया और उसने निवेदिता को एक थप्पड़
मार दिया. पर निवेदिता चुप रहीं। निवेदिता ने फिर आग्रह किया- महोदय क्रोध में आकर आपने मुझे थप्पड़ मार दिया, बड़े आनंद की
बात है पर अनाथ बच्चियों के लिए अब तो कुछ योगदान दे दीजिये।
निवेदिता की बातें सुनकर वह धनी व्यक्ति शर्मसार हो गया और उसे समझ में आ गया की एक सच्चा समाजसेवी अपने अपमान की चिंता
नहीं करता उसका सिर्फ एकमात्र लक्ष्य समाज की सेवा होता है. आज भी हमारे देश में अनेक जगहों भगिनी निवेदिता के नाम पर कॉलेज
और अन्य संस्थाए चल रहीं हैं. भगिनी निवेदिता भारत की कई स्त्रियों के लिए प्रेरणास्रोत बनीं.
स्वामीजी ऐसे कई महान लोगों के प्रेरणास्रोत बने. और अपना सारा जीवन देश की सेवा में समर्पित कर दिया.ये हमारे देश के वो महान लोग हैं,
जो हमारे बीच न होते हुए भी, आज भी हमारे दिलों में जिन्दा हैं।
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Swamiji was a great worldclass hero beyond time period.
I’m feeling unlucky because I had wasted my time in such useless things with have no meaning at all.
no matter now I want to be the 2nd vivekananda of this century………………………………….for sure?
it is my promise to the great Swami Vivekananda!