मैं कौन हूँ । Who am I । Best Motivational Poem in Hindi
दोस्तों जब तक हम ख़ुद को नहीं जान पाते या यूँ कहें ख़ुद से नहीं जुड़ते हमें पता ही नहीं होता कि
असली ख़ुशी क्या है हमेशा अपनी ख़ुशी के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है ।
दोस्तों हमें ये जानना बहुत ज़रूरी है कि मैं कौन हूँ । हमें जब पता चलता है कि
हमारे शरीर की आत्मा और हम दोनो अलग हैं तब शायद कुछ हद तक हम ख़ुद को पहचान लेते हैं ।
इन्हीं सवालों की उथल पुथल में मैंने एक कविता लिखी है उम्मीद है आपको पसंद आएगी
तमाम कोशिशों के बाद आज वो दिन आ ही गया
जब मैंने ख़ुद से नाता तोड़ लिया
दिल के दरवाज़े तक ले जाकर ख़ुद को अकेला छोड़ दिया
ज़ख़्म चाहे कितने भी गहरे हों नासूर भी बन जायें
जब तक वो मेरे हैं ही नहीं उनको भी खुला छोड़ दिया
बस दूर से ख़ुद को देखने का हुनर आया है
मैं कौन हूँ इस सवाल के जबाब से ख़ुद को जोड़ दिया
चाहे वो हल्की सी मुस्कुराहट हो या ढेर सारा गम
कमबख़्त लम्बी और भारी ज़िंदगी को एक नया मोड़ दिया
अंदर चल रही बातें और हलचल और न जाने कितने सवाल
इन सबसे हटकर अंदर ही कहीं बड़े प्यार से ख़ुद को टटोल लिया
अब दिल में है ईश्वर के प्रति आत्मसमर्पण का एक निश्चल सा भाव
और हाँ ऐसा करके न जाने कितनी गिरहों को मैंने खोल दिया
MUST READ
न जाने क्या है इस खामोशी का सबब
कुछ नहीं कहना है कुछ नहीं सुनना है
तनहाँ सी ज़िंदगी
तुम भी क्या ख़ूब कमाल करते हो
हमारे देश की महान नारी
क्य वाक़ई में भारत आज़ाद हो गया है
ये ख़ामोशी ये रात ये बेदिली का आलम
कभी कभी अपनी परछाईं से भी डर लगता है
मैंने चाहा था चलना आसमानों पे
कविता लिखी नहीं जाती लिख जाती है
अभी अभी तो उड़ान को पंख लगे हैं मेरी
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