महिला दिवस पर तीन बेहतरीन कवितायें । Women’s Day special Poetry in Hindi

महिला दिवस पर तीन बेहतरीन कवितायें । Women’s Day special Poetry in Hindi

Women's Day special Poetry in Hindi

Women’s Day special Poetry in Hindi

दोस्तों कुछ ही दिनों में महिला दिवस आने वाला है । हमारे देश में नारी को भगवान का रूप कहा जाता है। क्यूँकि उसके अंदर त्याग है , दया है , समर्पण है , एक तरफ़ जहाँ वह घर सम्भालने में सक्षम है । वहीं उसके अंदर कुछ बनने का जुनून भी है । वह जितनी अच्छी माँ है, उतनी अच्छी घरेलू औरत है और  उतनी ही अच्छी एक बिज़नेस सम्भालने वाली औरत है ।   आज हमारे देश में जो नई पीढ़ी आ रही है , वह पुरुषों के साथ आत्मविश्वास के साथ क़दम से क़दम मिलाने को तैयार है । वह अपनी बात रखने में झिझकती नहीं । पुरुष भी उन्हें अहमियत देने को राज़ी हैं । मैंने महसूस किया है आज की महिला महिलाओं का साथ देने के लिए कंधे से कंधे मिलाकर खड़ीं हैं। सोशल मीडिया पर भी महिला सशक्तिकरण के लिए काफ़ी काम किया जा रहा है । महिलाओं के साथ काफ़ी सारे पुरुष भी हैं जो इस दिशा में काम करने में उत्सुक हैं ,  मैं तहे दिल से ऐसे पुरुषों को धन्यवाद देना चाहती हूँ । जो महिलाओं को सिर्फ़ रसोई में नहीं देखना चाहते बल्कि उन्हें बाहर भी काम करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और उनका आत्मविश्वास बढ़ाते हैं ।   दूसरी ओर अभी भी कुछ महिलायें हैं जिन्हें प्रोत्साहन की ज़रूरत है जो कुछ करना तो चाहतीं है पर झिझकतीं हैं डरती हैं । पढ़ी लिखी होने के वावजूद भी उन्हें घर से बाहर जाने  की इजाज़त नहीं होती । उनके निर्णय आज भी कोई और लेता है । दोस्तों 8 मार्च को सारे देश में महिला दिवस मनाया जाएगा ।  मैंने कुछ कवितायें महिला सशक्तिकरण के लिए  अपने शब्दों में लिखने का प्रयास किया है ।  उम्मीद है आपको पसंद आएँगी ।

1 : ए मेरे देश की नारी

ए मेरे देश की नारी तू क्यूँ है इतनी बेचारी

तेरी शक्ति तेरी भक्ति तेरा हर एक रूप बड़ा है

तू है दुर्गा तू है काली सबने ये स्वीकार किया है

तू खुद को पहचान न पाती सारा जीवन यूँ ही बिताती

सबका सब कुछ सुनते सुनते तू बस खुद से जान छुड़ाती

 

क्यूँ तू खुद को मान न देती

क्यूँ तू खुद को जान न लेती

तेरी अपनी सोच अलग है

तेरा खुश रहना भी हक है

तेरी भी कुछ उम्मीदें है

तुझको भी सपने आते हैं

तू बस सबकी सुनती रहती

सबके आगे सर को झुका के

तू बस दिल का दर्द छिपाती

 

इक दिन ऐसा भी आएगा

सबको सब कुछ मिल जाएगा

तेरी त्याग भावना पर सबका

सर भी झुक जायेगा

पर दिल के कोने में बस

तेरा सपना मर जाएगा

 

यूँ तू खुश कम न होगी

पर उस दिन से डर लगता

जब सब खुद में खो जायेंगे

अपनी बातें अपनी खुशियाँ

तेरी उस दिन जगह न होगी

 

जब तू कुछ कहना चाहेगी

पलट के एक आवाज़ आएगी

किसने ये सब कहा था करने

उस दिन बस तू पछताएगी

एक टीस बस उठ जाएगी

काश मेरा भी कोई वजूद होता

 

Women’s Day special Poetry in Hindi

2 : हमारे देश की महान नारी

हमारे देश की महान नारी

मर्यादा की रस्सियों में जकड़ी हुई

कुछ- कुछ कुंठित

कुछ-कुछ सिकुड़ी हुई

सबकी खुशियों में हंसती हुई

अपने नारी होने के कर्तव्यों को पूरा करती हुई

 

कुछ-कुछ बनती कुछ-कुछ मिटती हुई

सुबह से शाम तक अपने ही घर में बने नियमों के बोझ तले दबती हुई

संस्कारों मान मर्यादाओं में बंधी हुई

खुद को हर बार एक अच्छी नारी सिद्ध करती हुई

और सिद्ध न कर पाने पर दुनिया के तानों को सुनती हुई

 

कभी- कभी चारों तरफ खुद की तारीफों को सुनकर

सोचती है…

क्या किसी ने देखा है इन तारीफों के पीछे छिपे हुए  सन्नाटों को,

क्या किसी ने महसूस किया है मरे हुए सुन्दर सपनों को

जीने की ख्वाइश को और भी बहुत कुछ

जो सिर्फ उसके सीने में दफन है

 

हमारे देश की महान नारी

 

Women’s Day special Poetry in Hindi

 

3 : क्या वाक़ई में भारत आज़ाद हो गया है

क्या वाक़ई में भारत आज़ाद हो गया है
या फिर ये आज़ादी महज़ एक दिखावा है
आज भी नारी के लिए ये शब्द एक छलावा है
आज भी नारी आज़ाद होने का करती दिखावा है
उसने खुद ही तय  कर रक्खा है अपनी सीमाओ को
खुद ही बांधती है हर रोज़ अपने पाँवों को
जब खुद छूटने की हिम्मत जुटा पाएगी वो
तभी इस आज़ादी को मना पायेगी वो
उसे अपने सपनों को उड़ान देना भी नहीं आता
किसी को न कहने की हिम्मत जुटा पाना भी नहीं आता
सच कहूँ तो उन्हें शायद सपने देखना भी नहीं आता
और हम कहते है कि देश आजाद हो गया है
अभी भी वक्त है
देश को पूरी तरह आज़ाद होने में
पुराने विचारों की कैद से फरार होने में
जिस दिन इस देश की नारी आज़ाद होगी
उस दिन सारे विश्व में भारत की मिशाल होगी
 
जिस दिन हर नारी अपने पैरों पे खड़ी होगी
उस दिन भारत की गरीबी भी  दो तीन होगी
जब अहम से भरे हुए पुरुषों को  ये समझ आएगा
कदम से कदम मिलाकर ही देश चल पाएगा
बहुत आसान है ये सब होना
और नारी के हाथ में ही है
चलो आज हर माँ एक कसम ले….
नारी की आज़ादी का बोझ अपने ही सर ले
हर माँ अपने बेटे को सीखा  दे
नारी की खूबसूरत पहचान बता दे
खुश नसीब है वो चंद नारियाँ जो पहुंची अपनी मंजिल तक
 
 

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हमारे देश की महान नारी 

क्य वाक़ई में भारत आज़ाद हो गया है 

ये ख़ामोशी ये रात ये बेदिली का आलम 

कभी कभी अपनी परछाईं से भी डर लगता है 

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